कर्ज़न रीडिंग रूम : ख़ान बहादुर ख़ुदाबख़्श ख़ान की आख़री निशानी
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
युरोपियन लोगों ने बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में एक युरोपियन क्लब 1885 में क़ायम किया, जिसमें किसी भी भारतीय का दाख़िल होना मना था। तब 1912 […]
असलम आज़ाद का जन्म बिहार के सीतामढ़ी ज़िला के मौलानगर में 12 दिसंबर 1946 को हुआ था। वालिद का नाम मुहम्मद अब्बास था। शुरुआती […]
भारत में पहला सरकारी यूनानी कॉलेज पटना में एक लम्बे आंदोलन के बाद गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना के रूप में 29 जुलाई 1926 को खुला। […]
पटना युनिवर्सिटी को वजुद मे लाने मे अपना अहम रोल अदा करने वाले सर मुहम्मद फ़ख़्रुद्दीन ने 1921 से 1933 के बीच बिहार के शिक्षा […]
आज हम जिस संस्कृत भाषा और साहित्य की प्राचीनता पर गर्व करते हैं, उसकी खोज विदेशियों ने ही की- चाहे वे इंग्लैण्ड के हों […]
साजिदा शेरवानी रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के पहले डायरेक्टर मौलाना अरशी साहब के व्यक्तित्व की पहचान कराने की आवश्यकता नहीं। वह और रामपुर रज़ा लाइब्रेरी […]
प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी की पैदाइश बिहार के अरवल ज़िला के इमामगंज में 10 नवम्बर 1933 को हुआ था। वालिद का नाम शाह मुहम्मद ज़की […]
नज़रबंदी के दौरान 1917 में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद नें रांची शहर में एक तालीमी एदारा क़ायम किया था, जिसे आज दुनिया मदरसा इस्लामिया रांची […]
पटना का तिब्बी कॉलेज भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पहला सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेज है. 29 जुलाई 1926 को गवर्मेंट तिब्बी कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थापना […]
1926 के दौर में जब जामिया मिल्लिया इस्लामिया बंद होने के हालात पर पहुँच गई तो ज़ाकिर हुसैन ने कहा “मैं और मेरे कुछ साथी जामिया की ख़िदमत के लिए अपनी ज़िन्दगी वक़्फ़ करने के लिए तैयार हैं. हमारे आने तक जामिया को बंद न होने दिया जाए.” जबकि उस वक़्त वो जर्मनी में पीएचडी कर रहे थे।
नवाब बहादुर सैयद विलायत अली ख़ान का जन्म 23 सितम्बर 1818 को पटना के एक बड़े बैंकर ख़ानदान में हुआ था, वालिद का नाम […]
पर उनकी तरबियत डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ने की थी, जिनके पास वतन से दूर रह कई बड़े काम अंजाम देने के मौक़े थे, पर उन्होंने जर्मनी से पढ़ाई मुकम्मल करने के बाद बंद होने की कागार पर पहुँच चुके जामिया मिलिया इस्लामिया को सम्भालने भारत आ गए, वैसे सैयद हसन भी अमेरिका में रहते हुवे कई भारतीय छात्रों की पढ़ाई में मदद करते रहे और 1965 वापस भारत आ गए।
मुम्बई प्रेसीडेंसी में लड़कियों के स्कूल 1827 से हैं, पर अधिकतर मिशनरियों के थे, आम हिंदुस्तानी जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनो थे, वो अपनी बच्चीयों […]
Shubhneet Kaushik प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के महिला महाविद्यालय की छात्रा रहीं। वर्ष 1934-36 के दौरान बीएचयू से ही उन्होंने […]
भारत में 19वीं सदी के दौरान दंत चिकित्सा में क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ था. पहली बार वर्ष 1920 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में […]
Shubhneet Kaushik “मैला आँचल” के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए आज “मैला आँचल” और “परती परिकथा” सरीखी कालजयी कृतियों के रचयिता फणीश्वर […]
Shubhneet Kaushik आरंभिक आधुनिकता (अर्ली मॉडर्निटी) के इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम ‘सम्बद्ध इतिहास’ के पैरोकार रहे हैं, जिसे वे ‘कनेक्टेड हिस्ट्रीज़’ का दर्जा देते हैं। मूलतः […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]