कभी था नवाबों का दफ़्तर, अब पर्यटकों के लिए तरस रहा भोपाल का गोलघर
वैसे तो भोपाल एक खुबसूरत और ऐतिहासिक शहर है जिसके कण-कण में इतिहास की कहानियां दर्ज हैं। नवाबों के शासन काल को करीब से देखने […]
वैसे तो भोपाल एक खुबसूरत और ऐतिहासिक शहर है जिसके कण-कण में इतिहास की कहानियां दर्ज हैं। नवाबों के शासन काल को करीब से देखने […]
गंगा किनारे बसा हुआ बिहार का तारीख़ी शहर मुंगेर कई कारणों से अहम है। शहर के किनारे पर क़िला है, क़िला के दक्षिण दरवाज़े से […]
परिवार के लोगों ने किला व मजार को सरंक्षित करने की मांग की मो. असग़र ख़ान/ अलबदर ख़ान गया: बिहार की राजधानी पटना से करीब पौने […]
आज 29 दिसम्बर है. आज ही के दिन हिन्दुस्तान की जंग-ए-आज़ादी के अज़ीम रहनुमा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया व तिब्बिया कॉलेज के संस्थापक और भारत में […]
आज 25 दिसम्बर है, आज ही महान भारतीय शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी, पंडित मदन मोहन मालवीय और डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी की जयंती है। ये […]
Shubhneet Kaushik मध्यकालीन भारत के दिग्गज इतिहासकार सर यदुनाथ सरकार ने मौलवी ख़ुदा बख़्श (1842-1908) को ‘इस्लामिक अध्ययन के संदर्भ-ग्रंथों का सबसे जानकार हिंदुस्तानी विद्वान’ […]
I am surprised at the name as there did not arise any dispute (Jhagda) as such. The munificence of Maharaja can be gauged further that since all the Muslim population got shifted to new places, the Maharaja granted a piece of land to start a Madarsa in front of the mosque so that the mosque is taken care of well and is populated.
अगर मै आपसे कहुं के आजके दौर में रमज़ान के पुरसुकून महीने में बिना किसी जंग के तोप चल रहे हैं, तो शायद आप […]
इंगलैंड में इस्लाम बहुत आख़िर मे पहुंचा है, वहां इस्लाम ले जाने में सबसे बड़ा हाथ हिन्दुस्तान के मुसलमानो का है। आधिकारिक तौर पर […]
ऑस्ट्रेलिया में लगी आग ने करोड़ों जंगली जानवरों को मौत के घाट उतार दिया है. जानवरों को बचाने और आग पर क़ाबू पाने के लिए […]
हकीम शरीफ़ ख़ान ने 1720 में एक ‘हवेली’ बनवाया था। हकीम सादिक़ अली ख़ान जो हकीम शरीफ़ ख़ान के बेटे थे; ने हवेली के पास […]
Shubhneet Kaushik बनारस में बांसफाटक स्थित कारमाइकल लाइब्रेरी उत्तर भारत की सबसे पुरानी लाइब्रेरियों में से एक है। इसकी स्थापना सन् 1872 ई0 में संकठा […]
Prashant Tandon लाहौर गुरुद्वारा शहीदगंज सदियों पुराने मुस्लिम सिख विवाद, सुलह और कानून के राज की नायाब मिसाल है. पाकिस्तान आज मुस्लिम बाहुल इस्लामिक रिपब्लिक […]
आज 12 रबीअव्वल है; इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़ हिजरी कैलेंडर के तीसरे महीने रबीअव्वल की 12वीं तारीख़, 571ईं. को इस्लाम के आख़री पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ […]
15 अगस्त 1917 को मौलाना आज़ाद ने अंजुमन इस्लामिया की स्थापना की! आज अंजुमन इस्लामिया का मुख्य कार्यालय अभी मेन रोड स्थित अंजुमन प्लाजा […]
इलाहाबाद शहर के मूल संस्थापक अकबर थे। अकबर की देन से इलाहाबाद आज भी जिंदा है। मैं इलाहाबादियों से पूछता हूँ आज भी गंगा […]
आज मै आपको पटना शहर की एक एैसी इमारत के बारे में बताने जा रहा हुं, जिसने बिहार निर्माण में नुमाया किरदार अदा किया, जिसने […]
Ashish Jha पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि सपने वो नहीं होते जो बंद आंखों से दिखी जाये सपने तो वो होते […]
पटना युनिवर्सिटी बिल को लेकर 1916 के 1917 के बीच लम्बी जद्दोजेहद हुई। 1916 में कांग्रेस के लखनऊ सेशन में पटना युनिवर्सिटी बिल को ले कर बात हुई. इंपीरियल विधान परिषद मे 5 सितम्बर 1917 को इस बिल को पेश किया गया जिसमे वहां मौजुद लोगों से राय मांगी गई, 12 सितम्बर 1917 को इस बिल पर चर्चा हुई और मौलाना मज़हरुल हक़ द्वारा दिए गए समर्थन के कारण 23 सितम्बर 1917 को इस बिल को पास कर दिया गया।
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]