वीरानों में खो गया “हॉकी का ब्राजील” भोपाल
भारत में शुरू से ही हॉकी एक मशहूर खेल रहा है। हॉकी स्टिक और कॉर्क की बॉल से खेले जाने वीले इस खेल को भारत […]
भारत में शुरू से ही हॉकी एक मशहूर खेल रहा है। हॉकी स्टिक और कॉर्क की बॉल से खेले जाने वीले इस खेल को भारत […]
वो साल 1951 था ऑस्ट्रिया के विएना शहर में अंतर्राष्ट्रीय टेबल टेनिस प्रतिस्पर्धा हो रही थी। रोमानिया की एंजेलिका रोज़ेनु जिन्होंने कि इस प्रतिस्पर्धा के […]
सब बुरे मुझ को याद रहते हैं जो भला था उसी को भूल गया 1930 की दिसंबर थी और इंग्लैंड का हास्टिंग्स शहर, दुनिया भर […]
वीर विनोद छाबड़ा 20 फरवरी 1964 कानपुर में भारत-इंग्लैंड के बीच अंतिम टेस्ट का अंतिम दिन। भारतीय टीम को जैसे-तैसे हो टेस्ट बचाना है। इससे […]
वीर विनोद छाबड़ा क्रिकेट की दुनिया में एक स्पिन जादूगर हैं, बापू नाडकर्णी। एक नंबर के कंजूस, नहीं मक्खीचूस, बल्कि महा-मक्खीचूस। नहीं नहीं। आप […]
12 अगस्त 1899 को हैदराबाद में जन्मे सैयद मुहम्मद हादी हिन्दुस्तान के सबसे अज़ीम अथेलीटों में से हैं, जिन्होने अकेले सात खेलों में हिन्दुस्तान […]
16 मार्च 1910 को पैदा हुए भोपाल रियासत के आख़री नवाब हमीदुल्लाह ख़ान के दमाद इफ़्तिख़ार अली हुसैन सिद्दिकी, 1917 से 1952 तक पटौदी (Pataudi) […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]