आज हिन्दुस्तान की तारीख़ के दो अज़ीम शख़्स की यौम ए पैदाईश है। पहला सरदार पटेल का और दुसरा ख़्वाजा अब्दुल हमीद का। दोनो ने ही हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी मे नुमाया किरदार अदा किया है।
On 4 July 1939, #MahatmaGandhi, Dr Sushila Nayar visited #CIPLA with Iron Man #SardarVallabhaiPatel.
Great Freedom Fighter of India #KhawajaAbdulHamid founded Cipla, India's oldest pharmaceutical company.#StatueOfUnity #SardarPatel #RashtriyaEktaDiwas #Statue_Of_Unity pic.twitter.com/dijSVhoUgm
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 31, 2018
तस्वीर 4 जुलाई 1939 की है, जब गांधी जी, सरदार पटेल और डॉ सुशीला नैयर के साथ सिप्ला लेबोरेट्री देखने पहुंचे थे। सिप्ला लेबोरेट्री मे गांधी और पटेल की मेहमान नवाज़ी डॉ ख़्वाजा अब्दुल हमीद ने की थी; जैसा आप तस्वीर मे देख सकते हैं। इन लोगों मे काफ़ी देर बात होती है, गांधी इस स्वदेशी ब्रांड की बहुत तारीफ़ करते हैं, ये वक़्त सिप्ला के लिए बहुत ही मुशकिल का था, पर गांधी की हौंसला अफ़जाई ने ख़्वाजा अब्दुल हमीद को बहुत हिम्मत दी। यहां के विज़ीटर बुक पर गांधी और पटेल के दस्तख़त और कुछ शब्द अब भी मौजुद हैं। (कमेंट मे देख सकते हैं)
ध्यान रहे के ख़्वाजा अब्दुल हमीद ने ख़िलाफ़त और असहयोग तहरीक के समय से ही हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी मे हिस्सा लेना शुरु कर दिया था। स्वादेशी तहरीक का असर उनपर ये हुआ के उन्होने जर्मनी से पी.एच.डी. कर लौटने के बाद हिन्दुस्तान के पहले स्वदेशी फार्मास्युटिकल ब्रांड “सिप्ला” की बुनियाद डाल दी।
सन् 1935 में जन्मा सिप्ला हमारे देश का पहला फार्मास्युटिकल ब्रांड है। आठ दशक पहले स्व. डॉ. ख़्वाजा अब्दुल हमीद ने जब सिप्ला की स्थापना की थी, तब भारतीय उद्योगपति शोध-अनुसंधान के बारे में सोचते भी नहीं थे।
जरूरतमंद लोगों को कम से कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध करना ही द केमिकल इंडस्ट्रियल एंड फ़ार्मास्युटिकल लेबोरेटरीज़ मने “सिप्ला” का मक़सद था। और वो उस पर खरा भी उतरा।