सैयद मुहम्मद हुसैन, जो थे अंग्रेज़ों के दौर में बिहार के शिक्षा मंत्री

सैयद मुहम्मद हुसैन के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं, वो अंग्रेज़ों के दौर में बिहार के शिक्षा मंत्री थे, जिन्होंने ये पद 6 मई 1933 में बिहार के अब तक के सबसे सफ़ल शिक्षा मंत्री सैयद मुहम्मद फ़ख़्रुद्दीन के पद पर से हटने के बाद हासिल किया था।

सैयद मुहम्मद हुसैन की पैदाइश 1873 में बिहार के नालंदा ज़िला के बिहार शरीफ़ के पास मौजूद अस्थावाँ गाँव में हुई थी। शुरुआती तालीम इन्होंने घर पर हासिल करने के बाद पटना कॉलेज में दाख़िला लिया, और फिर आगे की पढ़ाई के लिए बीएन कॉलेज में दाख़िला लिया। बी.ए. के बाद बी.एल. किया।

वकालत की पढ़ाई मुकम्मल करने के बाद 1896 में सैयद मुहम्मद हुसैन ने बिहार शरीफ़ में वकालत शुरू की। फिर उसके बाद भारत की उस समय की राजधानी, यानी कलकत्ता का रुख़ किया और कलकत्ता हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। कुछ साल वहाँ रहने के बाद 1908 में ज़िला कोर्ट, पटना में आकर वकालत करने लगे। काफ़ी मक़बूलियत पाई।


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इसी दौरान सियासत में भी हिस्सा लेने लगे। 1912-23 के दौरान पटना सिटी म्यूनिसपैलटी के मुन्सिपल कमिश्नर भी रहे। पटना डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के साथ साथ बोर्ड ऑफ़ सेकेंड्री एजुकेशन के सदस्य भी कई साल तक रहे। इसके अलावा सिविल जस्टिस कमेटी के सदस्य रहे। मदरसा एग्ज़ामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। फिर 1924 में सरकारी वकील बना दिए गए। और इस वजह कर पटना हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। वो 1921 में बिहार-उड़ीसा विधानपरिषद यानी कौंसिल के सदस्य चुने गए। और अपनी आख़री साँस तक इसके मेम्बर रहे।

अपने तीसरे कार्यकाल में सैयद मुहम्मद हुसैन ने कौंसिल में एक रिज़ॉल्यूशन उर्दू ज़ुबान के कोर्ट में उपयोग किया जाए को लेकर पेश किया, रिज़ॉल्यूशन पास हुआ और उर्दू को पटना, तिरहुत और भागलपुर डिवीज़न के कोर्ट में ऑप्शनल भाषा का दर्जा मिला।


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पहली बार वो पूर्वी पटना मुहम्मडन सीट से कौंसिल के मेम्बर 1921 में चुने गए। 1924 में वापस इसी जगह से चुने गए। फिर 1927 और 1930 में भी चुने गए। इस दौरान 6 मई 1933 से 24 दिसम्बर 1933 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे। सैयद मुहम्मद हुसैन ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था के सुधार में अपना भरपूर योगदान दिया। बिहार के पहले शिक्षा मंत्री सैयद मुहम्मद फ़ख़्रुद्दीन के मिशन को अपना मिशन बनाया। उस समय की हुकूमत ने ख़ान बहादुर के लक़ब से नवाज़ा।

पर 26 दिसंबर 1933 को सैयद मुहम्मद हुसैन का भी इंतक़ाल हो गया। जिसके बाद सैयद अब्दुल अज़ीज़ को बिहार का शिक्षा मंत्री बनाया गया। 14 फ़रवरी 1934 को सैयद मुहम्मद हुसैन को सदन में श्रधांजलि देते हुए डॉक्टर सचिदानंद सिन्हा और सर गणेश दत्त ने अपने ग़म का इज़हार किया। अमेंबली में अपनी बात रखते हुए अध्यक्ष ने सैयद मुहम्मद हुसैन के बारे में कहा के जिस दिन उनका निधन हुआ, उस दिन भी वो दफ़्तर का काम ही कर रहे थे।

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.