पटना में महिलाओं का एक बहुत मशहूर कॉलेज है, बीएनआर कॉलेज (BNR College) यानी बादशाह नवाब रिज़वी कॉलेज। इस कॉलेज की स्थापना नवाब हाजी सैयद बादशाह नवाब रिज़वी (Badshah Nawab Rizvi) ने की थी।
सैयद बादशाह नवाब रिज़वी (Badshah Nawab Rizvi) की पैदाइश पटना के जिस परिवार में हुआ था, उसने पटना में कई शिक्षण संस्थान खोले। जैसे नवाब सैयद लुत्फ़ अली ख़ान ने बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने में सबसे अहम रोल अदा किया, वहीं इन्ही के परिवार के नवाब सैयद विलायत अली ख़ान ने पटनाकॉलेज के साथ टेम्पल मेडिकल स्कूल बनाने में अहम योगदान दिया।
बादशाह नवाब रिज़वी (Badshah Nawab Rizvi) की पैदाइश 18 ज़िल्हिजा 1274 यानी 30 जुलाई 1858 को हुई। उनका असल नाम सैयद मुहम्मद मेहदी हसन था। उनके वालिद का नाम नवाब सैयद लुत्फ़ अली ख़ान था, जो पटना के गुज़री के रहने वाले बड़े रईस थे। बादशाह नवाब रिज़वी ने शुरुआती तालीम घर पर हासिल करने के बाद पटना कॉलेज से अपनी तालीम मुकम्मल की।
बिहार में दर्जनों आधुनिक शिक्षण संस्थान खोलने वाले सैयद विलायत अली ख़ान
चूँकि इनका ख़ानदान पुराना रईसों का ख़ानदान था, इस लिए बादशाह नवाब रिज़वी (Badshah Nawab Rizvi) को भी विरासत में बहुत बड़ी जागीरें मिली, उनकी ज़मींदारी पटना से लेकर भागलपुर के इलाक़े तक में फैली हुई थी, जिसकी सालाना आमदनी क़रीब सवा लाख रुपया थी। उन्होंने अपनी दौलत का समाज सेवा में भरपूर उपयोग किया। उन्होंने पटना में हॉस्पिटल खोलने के लिए एक बड़ी रक़म डोनेट की, यही कारण है पटना मेडकल कॉलेज में एक गुज़री वार्ड है।
सैयद बादशाह नवाब रज़वी (Badshah Nawab Rizvi) ने एक अपनी एक बड़ी जायदाद जिसकी सालाना आमदनी क़रीब 16000 रुपय थी, को यतीम, बेवा, ग़रीब और बेसहारा लोगों के लिए वक़्फ़ कर दिया, लेकिन सरकार ने चैरिटेबल ऐक्ट का हवाला देकर इसे रोकने की कोशिश की, तब बादशाह नवाब रज़वी ने 1909 में लड़कियों के तालीम के फ़रोग़ के लिए जायदाद वक़्फ़ की और इस तरह पटना में लड़कियों के पढ़ने के लिए एक स्कूल की स्थापना हुई, जिसे हम बादशाह नवाब रिज़वी कॉलेज के नाम से जानते हैं।
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इसके सैयद बादशाह नवाब रज़वी विभिन्न ओहदे पर भी रहे। वो पटना मुंसिपेल्टी के वाईस चेयरमैन थे, साथ ही ऑनरेरी मैजिस्ट्रेट भी थे। इसके इलावा पटना डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेंबर भी थे। उनके कारनामों की वजह कर जहां 1903 के दिल्ली दरबार में बुलाया गया, वहीं इन्हें 1909 में नवाब के ख़िताब से नवाज़ा भी गया। वहीं 1911 के दिल्ली दरबार में भी वो गए थे। इसके इलावा और कई तरह के सामाजिक काम में सैयद बादशाह नवाब रज़वी आगे आगे रहते हुए साल 1920 में इंतक़ाल कर गए।
सैयद बादशाह नवाब रज़वी को फ़न ए तामीर का भी बहुत शौक़ था, जिसकी झलक आज भी आपको पटना के गुज़री में मौजूद उनका बनाया हुआ मकान “बादशाह नवाब मंज़िल” के रूप में देखने को मिलेगा।