जामिया मिल्लिया इस्लामिया :- अंग्रेज़ी शिक्षा पद्धति के विरुद्ध बनने वाला भारत का पहला विश्वविधालय

 

 

मुहम्मद शाहीण

तहरीक ए ख़िलाफ़त और असहयोग तहरीक के समय सरकारी एदारे का विरोध हुआ तब सरफ़रोशों की तालीम के लिए अलीगढ़ (बाद में दिल्ली) मे जो तालीमी एदारा क़ायम किया गया उसका नाम है जामिया मीलिया इस्लामिया। इस एदारे की संगे बुनियाद 29 अक्तुबर 1920 को पड़ी थी।

जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापकों में मौलाना मुहम्मद अली जौहर, मौलाना शौकत अली,मौलाना महमूद हसन, हकीम अजमल ख़ान जैसे लोग थे. जामिया के इमारत की पहली ईंट मौलाना महमूद हसन(र0) ने रखी थी.

गौरतलब रहे कि भारत में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी ने “जमियत-उल-उलेमा” के सहयोग से ही खिलाफत आंदोलन का संगठन किया तथा मोहम्मद अली जौहर ने 1920 में खिलाफत घोषणापत्र प्रसारित किया, भारत में मोहम्मद अली जौहर व शौकत अली जौहर दो भाई खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना अलीगढ़ में 1920 में हुई थी.1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने के बाद तत्कालीन मुस्लिम नेतृत्व विशेषकर खिलाफत आंदोलन की अगुवाई कर रहे अलीग बंधुओं को यह एहसास था, कि एएमयू अब पूरी तरह अंग्रेजों के कंट्रोल में चला जाएगा और यहां से स्वतंत्रता संग्राम के मतवालों को भी आवाज़ उठाने की अनुमति नहीं होगी।

जामिया मीलिया इस्लामिया की बुनियाद रखते हुए “मौलाना महमूद हसन साहब(र)” ने कहा था कि इसका मकसद मुसलमानों की शिक्षा मुसलमानों के हाथों में रखना है। जामिया की स्थापना से लेकर 1938 तक जामिया के प्रॉस्पेक्टस में उसका यह उद्देश्य लिखा जाता रहा है, लेकिन 1939 में डॉ जाकिर हुसैन ने जामिया का कुलपति बनने के बाद जामिया की अंजुमन के पंजीकरण के समय उसके उद्देश्य में थोड़ा संशोधन कर दिया। तब उसमें यह बात दर्ज की गई कि इसकी स्थापना का असल मकसद हिंदुस्तानी विशेषकर मुसलमानों को दीनी एवं दुनभावी शिक्षा देना है। 22 नवम्बर को हकीम अजमल ख़ान को पहला चांसलर और मोहम्मद अली जौहर को पहला वाइस चांसलर चुना गया. सन 1925 में यह संस्था दिल्ली के करोल बाग़ इलाक़े में लाई गई और फिर 1936 में दिल्ली के ही ओखला इलाक़े में इसका अपना परिसर बनकर तैयार हुआ।

1920 में कोलकाता में कांग्रेस की मीटिंग हुई थी शाम में “जमियत उल्मा हिंद” ने पुलिस और फ़ौज की नौकरी हराम क़रार कर दिया ….और उसके दूसरे दिन गांधी जी ने स्टूडेंट्स को स्कूल और कॉलेज छोड़ देने को कहा …..ख़ैर वक़्त बीत गया गांधी जी आंदोलन के हीरो के रूप में याद किए जातेहै …और उल्मा पिछड़ेपन के प्रतीक बन गए।

जामिया मीलिया इस्लामिया हमारी धरोहर है, ये मौलाना मुहम्मद अली जौहर और मौलाना महमूद हसन साहब का ख़्वाब, हकीम अजमल ख़ान की हिकमत, डॉ मुख़्तार अंसारी की जुरायत, ज़ाकिर हुसैन सहीत सैंकड़ो बुज़ुर्गों की मेहनत का नतीजा है। जामिया मीलिया इस्लामिया हमारे बुज़ुर्गों के मेहनत की कमाई है, ये हमेशा याद दिलाएगा के किस किस तरह से हिन्दुस्तान को आज़ाद कराने के लिए हमारे बुज़ुर्गों ने क़ुर्बानी दी थी।