कर्नल अमर बहादुर सिंह : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक भरोसेमंद साथी

 

कर्नल अमर बहादुर सिंह आज़ादी से पहले ब्रिटिश आर्मी में कमीशंड ऑफिसर थे। नेताजी सुभाष चंद बोस के संपर्क में आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश आर्मी से बगावत कर दी और देश को आजाद कराने के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज ज्वाइन कर ली थी।

कर्नल अमर बहादुर सिंह का जन्म 27 जनवरी सन् 1915 को वाराणसी के ग्राम छिछुआ में हुआ था। उनके पिताजी का नाम महावीर सिंह और माता का नाम कलावती था। कर्नल सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई थी। अमर बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने मिशन स्कूल मिर्जापुर में पढ़ाई की। इसके बाद राजपूत कॉलेज आगरा से हाईस्कूल प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। आगरा कॉलेज से ही उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की।

15 अगस्त 1939 को अमर का देहरादून मिलिट्री एकेडमी में चयन हो गया। 15 फरवरी 1941 को कर्नल अमर बहादुर सिंह ने राजपूताना राइफल्स की बटालियन में बतौर अफ़सर शामिल हुए। मगर कर्नल अमर जब देश की आज़ादी के लिए सैनिक आंदोलन चला रहे नेताजी सुभाष चंद बोस के संपर्क में आए तो उन्होंने ब्रिटिश आर्मी में आला ओहदा नकार कर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए।

रुद्रपुर में पीएसी कमांडेंट भी रहे अमर सिंहकिच्छा। देश की आजादी के बाद कर्नल अमर बहादुर सिंह ने देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ भी काम किया। उन्होंने कुछ समय के लिए रुद्रपुर में पीएसी कमांडेंट पद पर भी रहे।

कर्नल अमर बहादुर सिंह ने अमर संकल्प नाम की अपनी आत्मकथा लिखी थी। इसमें कर्नल अमर सिंह ने देश के प्रति अपनी महोब्बत और बलिदान की कहानी बयां की थी। इस किताब में उन्होंने नेताजी के जज़्बे और विचारों को भी उनके साथ गुज़ारे वक़्त की यादों में समेट कर पेश किया था। कर्नल सिंह नेताजी के साथ बिताए पलों को याद कर अक्सर अतीत में खो जाते थे।

कर्नल अमर बहादुर सिंह एक इंटरव्यू के दौरान कही था के नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सोच देशवासियों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाई। मैं बहुत आशावादी हूं। मुझे लगता है कि आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेननियों का असली आजादी का सपना एक दिन ज़रूर पूरा होगा।

आज़ाद हिन्द फ़ौज के अफ़सर और नेताजी सुभाष चंद के बेहद करीबियों में शामिल रहे कर्नल अमर बहादुर सिंह (102) का लंबी बीमारी के बाद रविवार 20 अगस्त 2017 को निधन हो गया।