हफ़ीज़ किदवई
चन्द्र शेखर आज़ाद ने जिस रिवाल्वर से खुद को शहीद किया था वोह उनकी लाई हुई थी,जो खुद बंदूख चलाना सीख रही थीं। वोह जो अपने पति के साथ कन्धे से कन्धा मिलाती हुई उनसे बहुत आगे निकल गई। वोह जिसने क्राँति के सबसे शिखर पुरुषों को अपने ख़ून से तिलक लगाया था। जिसकी चलाई गोली जनरल हैली को नीचे गिरा निकल गई। जो उस वक़्त नही डरी, जिसके सभी साथी एक के बाद एक फाँसी के तख़्ते पर झूलते रहे, वोह अपने मार्ग से डिगी भी नहीं।
वोह थीं दुर्गा भाभी।वही दुर्गा भाभी जो एक वक़्त में क्रांतिकारीयों को हर तरह की मदद पहुँचा रही थीं। उन्हें हथियार पहुँचाती तो कभी खाना। कभी कपड़े तो कभी ख़त। उनके ज़ख्मो पर मरहम तो माथे पर हौंसला देती। मायूस होते दिलों को जीत की ललक के लिए तड़पाती।खुद जलकर लोहे को आकार देती रहीं। जब सभी साथी शहीद हो गए तो वोह अकेली हो गईं।
On 7 October, 1907 great freedom fighter of India, Durga Devi (better known as #DurgaBhabhi) born.
She was the wife of great Revolutionary #BhagwatiCharanVohra. Not only that se was herself directly connected with the revolutionary activities. pic.twitter.com/R8CPyRK1Gk
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 6, 2018
इस अकेलेपन में उठाए कदम ने ही दुर्गा भाभी को गढ़ा। उन्हें निखारा। जानते हैं वोह क्या था, वोह था दुर्गा भाभी का स्कूल। दुर्गा भाभी ने लखनऊ में आकर स्कूल खोला। महज कुछ बच्चों से उन्होंने गुलामी को तोड़ने की नीव डाली। जब तक लड़ सकी लड़ी, फिर तैयार करने में जुट गई।
दुर्गा भाभी को दूसरे में हौंसला और हिम्मत भरने में महारत हासिल थी। उन्होंने सोचा की भारत का मुस्तक़बिल यह बच्चे हैं, इनकी परवरिश बेहद ज़रूरी है। बच्चों में देशप्रेम और मानवता की ललक जगाना दुर्गा भाभी का मकसद बन गया। दुर्गा भाभी के उठाए मज़बूत कदमों का यह लखनऊ गवाह है। लाहौर के भगवती चरण बोहरा के घर से क्राँति की मशाल थामे दुर्गा भाभी लखनऊ में कभी न बुझने वाली मशाल दे गई। आज उस स्कूल को देखता हूँ तो मायूसी ज़रूर होती है उसकी हालत पर मगर उसकी बुनयाद दुर्गा भाभी की तरह हौसला देकर, मुस्कुरा देती है।
India Post issued a postage stamp to commemorate #BegumAkhtar on 2 December 1994 which was withdrawn shortly after the issue being printed with water soluble ink.#AkhtariBaiFaizabadi (7 October1914 – 30 October1974) was given the title of Mallika-e-Ghazal (Queen of Ghazals). pic.twitter.com/alk0ey4LKm
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 7, 2018
आज दुर्गा भाभी के जन्म दिन है तो साथ ही बेगम अख्तर का भी जन्मदिन है। एक ही शहर ने दोनों को थामा। बेगम अख्तर दुनियाभर में अपनी मखमली आवाज़ के लिए मशहूर हुईं। उनकी ज़िन्दगी के अगर हर पहर को थोड़ा थोड़ा भी लिखें तो यह जगह कम पड़ जाएगी। आज दुर्गा भाभी बेगम अख्तर की आवाज़ में हम सबसे देश को खूबसूरत बनाने के बारे पूछ रहीं हैं, वह बेगम अख्तर की आवाज़ में पूछ रहीं की जो देश हमे दिया गया था, जो लोगों की कुर्बानियाँ हमारे लिए थीं, उसका हमने क्या किया, हमने देश के दिलों को जोड़ा या उसमे दरार डाली है। दुर्गा भाभी के नम सवालों को बेगम अख्तर आवाज़ दे रहीं हैं की जवाब दो…
वह जो हममे तुममें क़रार था…….
लेखक जाने माने साहित्यकार हैं, और #हैशटैग #hashtag का उपयोग कर लगातर विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहे हैं!