कुलविंदर चौधरी
गुलाब सिंह लोधी भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी थे जिन्होने अपने प्राणों की बाज़ी अपनी भारत को आजादी दिलाने के लिए लगा दी। लखनऊ के अमीनाबाद पार्क में झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान झण्डा फहराने के दौरान अंग्रेजी पुलिस ने उन पर गोली चला दी और वे शहीद हो गये ।
Martyr #GulabSinghLodhi a resident of Unnao, was a freedom fighter shot dead by a British officer in 23 August 1935 when he climbed a tree in the park with the tri-colour flag defying government order. He died at Jhandewala Park in Aminabad, Lucknow. pic.twitter.com/EPkNRMwino
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) August 23, 2018
गुलाब सिंह लोधी का जन्म एक किसान परिवार में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के ग्राम चन्दीकाखेड़ा के लोधी परिवार में सन 1903 में श्रीराम रतनसिंह लोधी के यहां हुआ था।
झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने उन्नाव जिले के कई सत्याग्रही जत्थे गये थे, परन्तु सिपाहियों ने उन्हें खदेड दिया और ये जत्थे तिरंगा झंडा फहराने में कामयाब नहीं हो सके। इन्हीं सत्याग्रही जत्थों में शामिल क्रान्तिवीर गुलाब सिंह लोधी किसी तरह फौजी सिपाहियों की टुकडि़यों के घेरे की नजर से बचकर अमीनाबाद पार्क में घुस गये और चुपचाप वहां खड़े एक पेड़ पर चढ़ने में सफल हो गये।
क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी के हाथ में डंडा जैसा बैलों को हांकने वाला पैना था। उसी पैना में तिरंगा झंडा लगा लिया, जिसे उन्होंने अपने कपड़ों में छिपाकर रख लिया था। जैसे ही क्रान्तिवीर गुलाब सिंह जी ने तिरंगा फहरा दिया और जोर-जोर से नारे लगाने लगे इंक़लाब ज़िन्दाबाद।
झंडा सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान भारत की हर गली और गांव शहर में सत्याग्रहियों के जत्थे आजादी का अलख जगाते धूम रहे थे।
झंडा गीत गाकर~
झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजय विश्व तिरंगा प्यारा, इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जाये।
देश के कोटि कोटि लोग तिरंगे झंडे की शान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए दीवाने हो उठे थे।
समय का चक्र देखिए कि क्रान्तिवीर गुलाब सिंह लोधी के झंडा फहराते ही सिपाहियों की आंख फिरी और अंग्रेज़ी अफ़सर का हुकुम हुआ, गोली चलाओ, कई बन्दूकें एक साथ ऊपर उठी और धांय-धांय कर फायर होने लगे, गोलियां क्रान्तिवीर सत्याग्रही गुलाब सिंह लोधी के सीने में जा लगी। जिससे वे घायल होकर पेड़ से जमीन पर गिर पड़े। रक्त रंजित वह वीर धरती पर एैसे पड़े थे, मानो वह मां भारती की गोद में सो गये हो। इस प्रकार वह आज़ादी की बलिवेदी पर अपने प्राणों को न्यौछावर कर 23 अगस्त 1935 को शहीद हो गये।
क्रान्तिवीर गुलाब सिंह लोधी के तिरंगा फहराने की इस क्रान्तिकारी घटना के बाद ही अमीनाबाद पार्क को लोग झंडा वाला पार्क के नाम से पुकारने लगे और वह आज़ादी के आन्दोलन के दौरान राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं का प्रमुख केन्द्र बन गया, जो आज शहीद गुलाब सिंह लोधी के बलिदान के स्मारक के रूप में हमारे सामने है।
मानो वह आजादी के आन्दोलन की रोमांचकारी कहानी कह रहा है। क्रान्तिवीर गुलाब सिंह लोधी ने जिस प्रकार अदम्य साहस का परिचय दिया और अंग्रेज सिपाहियों की आँख में धूल झोंककर बड़ी चतुराई तथा दूरदर्शिता के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। एैसे उदाहरण इतिहास में बिरले ही मिलते है । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अग्रणी भूमिका निभाने के लिए उनकी याद में केंद्र सरकार द्वारा जनपद उन्नाव जनपद में 23 दिसंबर 2013 को डाक टिकट जारी किया गया।
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एक सच्चा वीर ही देश और तिरंगे के लिए अपने प्राण न्योछावर सकता है। ऐसे ही अमर शहीद गुलाबसिंह लोधी एक सच्चे वीर थे जिन्होंने अपने देश और तिरंगे की खातिर अपना बलिदान दे दिया और तिरंगे को झुकने नहीं दिया। अमर शहीद गुलाबसिंह लोधी का बलिदान देशवासियों को देशभक्ति और परमार्थ के लिए जीने की प्रेरणा देता रहेगा।