अमर शहीद रामफल मंडल : स्वतंत्रता संग्राम का एक महान सिपाही

अमर स्वतंत्रता सेनानी शहीद रामफल मंडल को नमन !!

Prashant Nihal

सन 1942 में गांधी के आह्वाहन पर अंग्रेज़ों के खिलाफ छेड़े गए भारत छोड़ो आंदोलन का बिहार में काफी प्रभाव था.
युवाओं ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और इस आंदोलन को एक क्रन्तिकारी आंदोलन में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ा.
जगह-जगह सरकारी दफ्तरों, थानों पर कब्ज़ा किया गया और उन जगहों को आजाद घोषित किया गया.

ये घोषित आज़ादी भले ही कुछ दिन टिकी हो पर अपने पिछे एक क्रान्तिकारी विरासत छोड़ गया है और उस वक़्त अंग्रेज़ो को यह बता गया कि हिन्दुस्तान में उनके आखिरी दिन चल रहे हैं.


सोहन लाल पाठक : बर्मा की जेल में शहीद हुआ एक भारतीय क्रांतिकारी


शहीद रामफल मंडल का जन्म

शहीद रामफल मंडल भारत छोड़ो आंदोलन के उन्हीं युवा क्रान्तिकारीयों में से एक थे.
उनका जन्म बिहार के सीतामढ़ी जिले में बाज़पट्टी थाने के मधुरापुर गांव में 6 अगस्त 1924 को हुआ था.
उनके पिता का नाम गोखुल मंडल, माता का नाम गरबी मंडल एवं पत्नी का नाम जगपतिया देवी था.
रामफल मंडल जी का शादी 16 वर्ष की उम्र में ही हो गया था.


गुलाब सिंह लोधी : तिरंगा की ख़ातिर शहीद होने वाले महान क्रांतिकारी


सीतामढ़ी अनुमंडल अधिकारी की हत्या

24 अगस्त 1942 को बाज़पट्टी चौक पर रामफल मंडल ने अंग्रेज सरकार के तत्कालीन सीतामढ़ी अनुमंडल अधिकारी हरदीप नारायण सिंह, पुलिस इंस्पेक्टर राममूर्ति झा, हवलदार श्यामलाल सिंह और चपरासी दरबेशी सिंह की हत्या कर दी.
जैसे ही अंग्रेजों आंदोलन पर काबू पाने में थोड़ा सफल हुए रामफल मंडल गिरफ्तार कर लिए गए.
1 सितंबर 1942 को रामफल मंडल को गिरफ्तार कर सीतामढ़ी जेल में रखा गया.
5 सितंबर 1942 को उन्हें भागलपुर केंद्रीय कारागार हस्तांतरित कर दिया गया.


पटना के सात शहीद :- भारत छोड़ो आंदोलन के नायक


अंग्रेज अधिकारीयों कि हत्या के जुल्म में उनपर कांड संख्या 473/42 के तहत भागलपुर न्यायलय में मुकदमा चला और 23 अगस्त 1943 को केंद्रीय कारागार भागलपुर में फाँसी दे दी गयी.
देश कि आजादी के खातिर अपनी जान कुर्बान करने वाले इस युवा क्रांतिकारी को सलाम!