Saquib Salim
15 अगस्त – यही वो तारीख़ है जब भारत को अंग्रेज़ राज से 1947 में आज़ादी मिली थी। पिछले कुछ समय से जब से सोशल मीडिया का चलन बढ़ा है लोगों को जानकारी तो आसानी से मिलने लगी हैं परंतु सही जानकारी से ज़्यादा उन्हें ग़लत जानकारी मिलती है। 15 अगस्त आते ही फ़ेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सप्प पर एक तस्वीर साझा की जा रही है जिसमें लाल क़िले पर पंडित नेहरू झंडा फहरा रहे हैं। साथ ही एक तस्वीर में इंग्लैंड का झंडा उतारते हुए और भारत का झंडा ऊपर जाते हुए नज़र आता है। कुछ वीडियो भी इसका चित्रण करती हुई नज़र आती हैं।
बिना कुछ लिखे ही ये तस्वीरें एक संदेश देती हैं। संदेश ये कि 15 अगस्त 1947 को पंडित नेहरू ने लाल क़िले पर झंडा फहराया था और उस झंडे को फहराते हुए पहले इंग्लैंड का झंडा नीचे सार्वजनिक रूप से उतारा गया था।
लेकिन ऐसा नहीं है। जी हाँ बचपन से वो जो हम टीवी फ़िल्म इत्यादि में एक सीन देखते आये हैं जिसमें कि इंग्लैंड का झंडा यूनियन जैक नीचे उतर रहा है और भारतीय झंडा ऊपर जा रहा है उस समय की असली वीडियो नहीं है।
सबसे पहले तो ये कि आज़ादी के बाद का पहला झंडा दिन के समय नहीं रात के समय 15 अगस्त को फहराया गया था। और वो स्थान जहां नेहरू ने ध्वजारोहण किया लाल क़िला नहीं था बल्कि वाइसराय का घर यानिकी आज का राष्ट्रपति भवन था। इसके अलावा देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी ठीक उसी समय पर झंडा फहराया गया था। पर लाल क़िले पर नहीं।
जब भारत आज़ाद हुआ तो इंग्लैंड के झंडे को न नीचे किया गया था न सार्वजनिक रूप से उतार कर उसकी जगह दूसरा झंडा चढ़ाया गया था। लॉर्ड मॉउन्टबेटन के अनुसार ये बात वो पहले ही कर चुके थे कि यूनियन जैक को नीचे नहीं झुकने दिया जाएगा। जिससे भारतीयों को भी कोई एतराज़ नहीं था।
अंतिम समय में जिस स्तम्भ पर यूनियन जैक था वो ख़ाली कर दिया गया था और 15 अगस्त की मध्यरात्रि उस ख़ाली स्तम्भ पर ही भारतीय तिरंगा फहरा। साथ ही वाइसराय के झंडे की जगह नीले रंग का गवर्नर जनरल का झंडा फहराया गया।
शायद बहुत से लोग ये न जानते हों कि भारतीय झंडा केवल यूनियन जैक नहीं था वो तो पूरे ब्रिटिश साम्राज्य का झंडा था। वाइस-राय का झंडा मुख्य समारोह में फहराया जाता था जिसको 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 तक गवर्नर जनरल के झंडे से बदल दिया गया। 1950 के बाद भारत पूर्ण गणतंत्र बना और गवर्नर जनरल का झंडा भी समाप्त हो गया।
इसमें एक और रोचक तथ्य ये है कि 1947 में लाल क़िले पर झंडा 16 अगस्त को फहराया गया था न कि 15 अगस्त को।
जो यूनियन जैक का उतरना आप देखते हैं वो बाद में बानी फ़िल्मों का हिस्सा तो ज़रूर हैं पर सच्चाई का उस से कोई लेना देना नहीं है।
याद रखिये जब भारत आज़ाद हो रहा था तो अंग्रेज़ों के लिए भारतीयों में नफ़रत नहीं थी। मॉउन्टबेटन याद करते हैं कि आज़ादी मिलने के बाद कैसे जनता ने उनकी जय जयकार के नारे लगाए थे। उनके अनुसार लोग “ज़िंदाबाद की जय, मॉउन्टबेटन की जय , लेडी मॉउन्टबेटन की जय और पामेला मॉउन्टबेटन की जय” जैसे नारे लगा रहे थे।
(लेखक वरिष्ठ इतिहासकार हैं )