26 नवम्बर 1938 को हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी के अज़ीम रहनुमा मौलाना शौकत अली का इंतक़ाल मरहूम मौलाना मुहम्मद अली जौहर की बेगम के करोलबाग़ स्थित घर में हुआ; हिन्दुस्तान सहीत पुरे दुनिया मे शोक की लहर दौर पड़ी। हज़ारो की तादाद में नम आंखो से लोगों ने उनका आख़री दीदार किया। फिर 27 नवम्बर 1938 को सुबह 10:30 में उनका जनाज़ा लेकर जामा मस्जिद पहुंचे! नामज़ ए जनाज़ा बाद ज़ोहर जामा मस्जिद में हुई, और जामा मस्जिद के आहते में पूरब की जानिब 2:30 बजे उन्हे दर्जनो केंद्रिय असेंबली के मेम्बर की उपस्थिती में हज़ारों लोगों के बीच दफ़न कर दिया गया।
Grave of Maulana Shaukat Ali at Jama Masjid.#MaulanaShaukatAli died on 26 November 1938 at the residence of Begum #MohammadAliJauhar, the widow of his brother, in Karol Bagh, Delhi. His body was buried in the vicinity of the #JamaMasjid on 28 November 1938. #KhilafatMovement pic.twitter.com/ovcYN0a4NR
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वैसे एक बात क़ाबिल ए ज़िक्र है, के अल्लामा इक़बाल का इंतक़ाल 21 अप्रैल 1938 को हुआ था और उन्हे लाहौर की बादशाही मस्जिद के आहते में दफ़न किया गया, क्युंके वो हिन्दुस्तान के मुसलमानो के एक बड़े नायक थे। ठीक एैसा ही मौलाना शौकत अली के साथ भी हुआ। उन्हे हिन्दुस्तान के इलावा विदेशों में भी लोग बहुत चाहते थे! तुर्की, अरब, अफ़्रीका से लेकर योरप और अमेरिका तक उनके चाहने वाले मौजूद थे। इस लिए उनके इंतक़ाल के बाद उन्हे इज़्ज़त देने की नियत से दिल्ली के जामा मस्जिद के मेन गेट की ठीक दाईं जानिब दफ़न किया गया; जो रास्ता मीना बाज़ार की जानिब निकलता है। दिल्ली की जामा मस्जिद उस हिन्दुस्तान के मुसलमानो का मरकज़ था। जिसकी पहले और आज भी बहुत अहमियत है।
Hajj Amin (center) presenting Palestinian flag to #MaulanaShaukatAli, (left of Hajj Amin) a leader of Indian #KhilafatMovement; next to Shaukat Ali is Shaykh Khwaja Nazir Hasan Ansari, 1931.
© : @TCNLive #Jerusalem #AlQuds #AlQods #Palestine #AlAqsa#القدس_عاصمه_فلسطين_الابديه pic.twitter.com/YZwDWtCZH6— Heritage Times (@HeritageTimesIN) December 6, 2017
चुंके केंद्रिय असेंबली के सदस्य रहते हुए मौलाना शौकत अली का इंतक़ाल हुआ था; इस लिए 28 नवम्बर 1938 को केंद्रीय असेंबली में सदन के नेता सर निरिपेंद्रा नाथ सरकार ने सदन के अध्यक्ष से श्रद्धांजलि देने के बाद सदन स्थगित करने की अपील की। और साथ ही मौलाना शौकत अली की सदन में मौजूदगी और योगदान को सराहा। कांग्रेस की जानिब से बी.जे. देसाई मौलाना शौकत अली को श्रद्धांजलि देते हुए कहा के अचानक मौलाना का जाना ना सिर्फ़ इस सदन के लिए झटका है, बल्के पुरे भारत के लिए बहुत बड़ा नुक़सान है। और वो आगे कहते हैं के मौलाना उन चोटी के नेताओं में से थे जिन्होने भारतीय स्वातंत्रता संग्राम को उसकी बुलंदी पर पहुंचाया। मुस्लिम लीग की तरफ़ से मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए मुहम्मद अली जिन्ना कहते हैं मौलाना का जाना उनका ज़ाती नुक़सान है। वो पिछले 35 साल से एक दुसरे को क़रीब से जानते थे। और इस सदमे से उभरना उनके लिए मुशकिल है। मौलाना का जाना ना सिर्फ़ मुसलमान बल्के हिन्दुस्तान के लिए भी नुक़सानदेह है, जिसकी भरपाई नामुमकिन है।
इस मौक़े पर ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए एम.एस एैनी ने कहा की मौलाना शौकत अली से उनका तालुक़ात 1921 से ही था। उन्होने अपने पुराने दिनो को याद करते हुए कहा के असहयोग आंदोलन के समय 1921 में उनके और गांधी के बीच कुछ मतभेद था; जिसे सुलझाने के लिए गांधीजी ने शौकत अली को भेजा, ये दर्शाता है के गांधी शौकत अली पर कितना भरोसा करते थे। इसके इलावा वो कहते हैं के शौकत अली हमेशा सांप्रदायिकता के निवारण का समाधान ढूंडा करते थे। वो आगे कहते हैं के मौलाना इस मुल्क के अज़ीम बेटे थे जिन्होने लोगों को जागरुक करने के लिए कोई क़सर नही छोड़ा।
सदन में युरोपियन ग्रुप का लीडर आदम आईकमान ने मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए कहा के ये ना सिर्फ़ हाऊस के लिए बल्के पुरे भारत के लिए एक क्षति है। वो आगे कहते हैं के उनका ग्रुप मौलाना के आकर्षक व्यक्तित्व और खुले पन का क़ायल था। उनके रूप में भारत मे एक एैसा बेटा खोया है जिसमे बहुत से गुण थे, जो बहुत ही साहसिक और गुणवान था।
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सदन के अध्यक्ष सर अब्दुर रहमान ने सदन मे तामाम पार्टी के लीडरों द्वारा मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए बोली गई बातों पर अपनी सहमती जताई और कहा के वो मौलाना शौकत अली से एक दिन पहले ही मिले थे; इस लिए उन्हे भूलना नामुमकिन है और वो उन्हे बहुत याद करेंगे! वो आगे कहते हैं के उनका व्यक्त्तिव बहुत ही आकर्शक था, पर साथ ही वो देश के एक महान सियासतदां थे। मौलाना शौकत अली के सम्मान मे अध्यक्ष महोदय ने हाऊस को एक दिन के लिए स्थागित करते हुए कहा के देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा।
उधर 28 नवम्बर को बॉम्बे मुंसिपल कार्पोरेशन के मेयर सुल्तान चेनोय ने मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए एक दिन के लिए मुंसिपल कार्पोरेशन बंद रखा। उसी दिन आज़ाद मैदान में ख़िलाफ़त कमेटी और मुस्लिम लीग ने मिलकर एक श्रधांजली सभा रखी, जिसकी अध्यक्षता मौलाना मुहम्मद इरफ़ान ने की जो ख़िलाफ़त कमेटी के सचिव थे। इसमे अली अल्लाह बख़्श, इस्माईल चुंदरीगर, सर करीमभोय इब्राहिम, फ़ैज़ मुहम्मद, वज़ीर अली, मेजर पे मास्टर और जमना दास द्वारका दास जैसे लोग शरीक हुए। जहां एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया के इतिहास के एक अतिसंवेदनशील दौर मे मुस्लिम जगत के एक बेबाक आवाज़ का चला जाना निहायत ही दुखद है। इसके बाद बॉम्बे में एक दिन का आंशिक हड़ताल रखा गया, जिसका असर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों मे देखने को मिला। हज कमेटी का दफ़्तर बंद था। जितने भी मिल और फ़ैक्ट्री थी, वहां काम कर रहे मुस्लिम मुलाज़िमों ने एक दिन छुट्टी पर रहे।
Karachi 1921: L–R :- Maulana Shaukat Ali, Sri Shankar Acharia, Maulana Muhammad Ali Jauhar; front Dr #SaifuddinKitchlew, on trial for ‘sedition against the armed forces’ in Khaliqdina Hall.#ShankarAcharia#MaulanaShaukatAli #KhilafatMovement #MaulanaMuhammadAliJauhar pic.twitter.com/85Smvm4551
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कटक से दिये गए अपने बयान में सरोजनी नायडु ने कहा के मौलाना शौकत अली का जाना मेरे लिए बहुत ही दुखद है। उनके रूप में भारत ने हमारे समकालीन एक गतिशील और विशिष्ट व्यक्ती को खो दिया है। वो एक साहसी और त्यागी व्यक्ती थे। उनका जाना मेरे लिए निजी क्षती है, हम भारत की आज़ादी के लिए “काम्रेड” की हैसियत से साथ खड़े थे। लेकिन कुछ सालों से हम विचारधारा की बुनियाद पर अलग थे। मुझे इस बात की ख़ुशी है के हमारे बीच समाजिक मुद्दे को लेकर कभी कोई मतभेद नही रहा। मै उनके बहादुर आत्मा के शांती की कामना करती हुं जिसने हर जद्दोजेहद में ख़ुद को इमानदार साबित किया।
#SarojiniNaidu with #AbadiBanoBegum who was also known as #BiAmman. She was Mother of #MaulanaMohammadAliJouhar and #MaulanaShaukatAli, who were leading figures of the #KhilafatMovement. pic.twitter.com/FJKcZFLfsJ
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) November 26, 2018
मौलाना शौकत अली के इंतक़ाल पर महात्मा गांधी ने एक टेलिग्राम जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उस समय के प्रिंसपल डॉ ज़ाकिर हुसैन को लिखा, जिसमे वो लिखते हैं :- हांलाकें अभी हमारे बीच सियासी मतभेग था; पर हम हमेशा अच्छे दोस्त रहे! मौलाना हिन्दु मुस्लिम ऐकता के लिए हमेशा कार्यरत थे; अगर्चे उनके जीते जी ये पूरा नही हो सका, पर मै उम्मीद करता हुं के उनकी मौत के बाद दोनो समुदाय उनके ख़्वाब पुरा कर दे।
मद्रास प्रेसिडेंसी के राजस्व मंत्री टंगुटूरी प्रकाशम ने मिडीया को दिये गए अपने बयान में कहा की मेरे प्रिय मित्र के मौत के रूप में भारत को बहुत बड़ी क्षती पहुंची है। वो चाहे कांग्रेस के साथ रहें या या फिर उसके ख़िलाफ़ वो हमेशा बेबाक रहे; वो 1920-21 के गांधी आंदोलन के सबसे मज़बूत स्तंभ थे; जो मुल्क की ख़ातिर हमेशा हर क़ुर्बानी के लिए तैयार रहते थे। वहीं कांग्रेस सेवा दल के नेता नारायण सुब्बाराव हार्दिकर ने कहा के मौलाना शौकत अली के रुप मे हमने एक महान सैनिक खोया। अपने निष्ठावान व्यक्त्तिव से उन्होने मुझे सेवा दल बनाने के लिए प्रेरित किया, वो कुछ समय के लिए सेवादल के अध्यक्ष भी रहे। शौकत अली उन शुरुआती लोगों मे से थे जिन्होने अंग्रेज़ों से बग़ावत की। उन्होने मुस्लिमो को स्वातंत्रता संग्राम हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। आज हमने एक हिम्मतवर चेहरे को आज़ादी की राह में खो दिया।
उत्तर प्रदेश असेंबली में मौलाना शौकत अली और महात्मा हंसराज को ख़िराज ए अक़ीदत पेश किया गया; जिसमे प्रेमियर गोविंद वल्लभ पंत, छतारी के नवाब मुहम्मद अहमद सैद ख़ान, नवाबज़ादा लियाक़त अली ख़ान, सर महराज सिंह, सर ज्वाला प्रसाद श्रिवास्तव और सभापती पुरुषोत्तम दास टंडन ने हिस्सा लिया।
पंजाब असेंबली में मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए सदन के नेता सर सिकंदर हयात ख़ान ने कहा के मौलाना शौकत अली के मौत की ख़बर सुनना उनके लिए एक झटका से कम नही था। क्युंके वो पुरे हिन्दुस्तान के मशहूर ओ मारूफ़ समाजी और सियासी लीडर थे। और वो मौलाना को अपने अलीगढ़ कॉलेज के दौर से ही जानते थे। वो आगे कहते हैं के उन्हे उम्मीद है के वो पंजाबीयों के जज़बात की तर्जुमानी कर रहे हैं, जो मौलाना के मौत पर रंज का इज़हार कर रही है। सदन में विपक्ष के नेता गोपीचंद भरगावा की ग़ौरमौजूदगी में उपनेता दीवान चमनलाल ने मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश किया और असहयोग आंदोलन के समय किये गए उनके कारनामों को याद किया। बेगम रशीदा लतीफ़ ने उनकी ताईद की। सदन के सभापती सर शहाबुद्दीन ने सदन की ओर से संतावना पत्र मौलाना के परिवार को भेजने की बात की।
नई दिल्ली से जारी किये गए अपने एक बयान में कांग्रेसी लीडर सुंदर शास्री सत्यमुर्ती ने कहा के :- हांलाके वो कुछ समय से सियासी तौर पर हमसे अलग हो गए थे; लेकिन वो हमेशा ही आज़ादी के एक मज़बूत सिपाही के रूप में देश के लिए खड़े थे। जैसे के कुछ लोग उन्हे समप्रादायिक कहते हैं, वो इससे काफ़ी नाख़ुश थे। वो अपनी तरफ़ से लगातार हिन्दु मुस्लिम ऐकता की कोशिश में लगे हुए थे। उनके मौत ने भारत की सियासत में एक शून्य छोड़ दिया है।
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के कर्मचारी और छात्रों ने ऐकत्र हो कर युनियन हॉल में मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश किया। वहीं कलकत्ता के मौलाना मुहम्मद अली पार्क में एक शोकसभा का आयोजन कर मौलाना शौकत अली और उनके भाई मुहम्मद अली जौहर को ख़िराज ए अक़ीदत पेश किया गया। साथ ही कलकत्ता में शहीद स्मारक बनाने को लेकर वहां प्रस्ताव रखा गया। इसके इलावा इलाहाबाद के सभी स्कूल और कॉलेज, यहां तक के इलाहाबाद युनिवर्सिटी भी एक दिन के शोक में बंद थी। मैसूर कांग्रेस कमेटी ने अपना दुख प्रकट किया। वही बैंगलार में एक दिन का हड़ताल रहा। आगरा और कानपूर में मौलाना शौकत अली की याद में एक शोक सभा का आयोजन किया गया और साथ ही बज़ार बंद रहे। इलाहाबाद में मुस्लिम लीग के सर शफ़ात अहमद ने मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए उनकी मौत को मुल्क ओ क़ौम का एक बड़ा नुक़सान करार दिया। अपने एक स्टेटमेंट में कलकत्ता के सर ऐ.एच. ग़ज़नवी ने उनकी मौत पर बहुत भावुक्ता से ख़िराज ए अक़ीदत पेश किया। वहीं सिंध के प्रांतीय मुस्लिम लीग ने ख़िराज ए अक़ीदत पेश करते हुए शोक सभा का आयोजन किया और एक प्रस्ताव पेश करते हुए आने वाले शुक्रवार को शौकत अली दिवस पुरे सिंध में मनाने की बात की। और साथ ही लोगों से एक दिन के हड़ताल की अपील भी की गई। सिंध मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर अब्दुल्लाह हारून ने कहा के मौलाना शौकत अली ने मुसलमानो को एकजुट कर स्वातंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया।
Procession at the first convocation of the #JamiaMilliaIslamia in 1921.
It includes #DrMukhtarAhmadAnsari, #HakimAjmalKhan, #SyedSulemanNadvi, #MaulanaAbulKalamAzad, #MaulanaShaukatAli, #AbdulMajeedKhwaja, #DrZakirHussain, #DrKhwajaAbdulHamied and #RaufPasha.
Image :: FrontLine pic.twitter.com/IRPHvPZpPL
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 8, 2018
भारत सहित दुनिया भर के अख़बारों ने उनके मौत की ख़बर को फ़्रंट पेज पर जगह दिया। भारत सहित दुनिया के अलग अलग हिस्सों में मौलाना शौकत अली को ख़िराज ए अक़ीदत पेश करने के आयोजन हुए। मौलाना शौकत अली के सम्मान मे कई संस्थान की बुनियाद डाली गई। कई सड़क के नाम रखे गए।