18 जुलाई 1861 को बिहार के भागलपुर में जन्मीं कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फिजीशियन थीं।
#KadambiniGanguly (18 July 1861 – 3 October 1923) was the first South Asian female physician, trained in western medicine, to graduate in South Asia.#AnandiGopalJoshi, another Indian, graduated as a physician the same year (1886) in the United States. pic.twitter.com/1WeLNYulVo
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 3, 2018
कादम्बिनी पहली दक्षिण एशियाई महिला थी, जिन्होंने यूरोपीयन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। यही नहीं कांग्रेस अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला का गौरव भी उन्हें प्राप्त है। 1886 में कादम्बिनी देश की पहली महिला डॉक्टर बनीं थीं।
हालांकि, उसी साल महाराष्ट्र की आनंदी बाई जोशी भी महिला डॉक्टर बनने में कामयाब हुई थीं। लेकिन, कादम्बिनी का रिकॉर्ड ये है कि उन्होंने विदेश से डिग्री लेकर एक विशेषज्ञ डॉक्टर के रूप में अपना स्थान बनाया था।
#ChandramukhiBasu (1860–1944), a Bengali Christian from Dehradun, was one of the first two female graduates of the British Empire.
In 1882, along with #KadambiniGanguly, she passed the examination of the bachelor's degree in arts from University of Calcutta, India. pic.twitter.com/P2PzbTJOfO
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कादम्बिनी इंडिया में ग्रेजुएट होने वाली पहली औरत थीं। वे उस दौर की महिला हैं, जब समाज लड़कियों की शिक्षा के लिए राजी नहीं था। बहुत अड़ंगे लगाता था, लेकिन कादम्बिनी एक शुरुआत थीं। वो न होतीं, तो शायद हमारा समाज और देर से जागता।
कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर बसु ब्रह्मो सुधारक थे। भागलपुर में हेडमास्टर की नौकरी करने वाले बृजकिशोर ने 1863 में भागलपुर महिला समिति बनाई थी, जो भारत का पहला महिला संगठन था।1878 में कादम्बिनी कलकत्ता यूनिवर्सिटी का एंट्रेस एग्जाम पास करने वाली पहली लड़की बन गई थीं। उनके इस सफर में देश की पहली महिला ग्रेजुएट होने का कीर्तिमान भी शामिल है।
#AnandibaiGopalraoJoshi (31 March 1865 – 26 February 1887) was one of the earliest Indian female physicians.
She was the 1st woman from the erstwhile Bombay presidency of India to study and graduate with a 2year degree in western medicine in the United States.#AnandiGopalJoshi pic.twitter.com/74zH7AXmUS
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इसके बाद कादम्बिनी हायर एजुकेशन के लिए सात समंदर पार यूरोप गईं। जब वे वहां से लौटीं तो उनके हाथ में मेडिसिन और सर्जरी की तीन अडवांस डिग्रियां थीं। वो उस समय की सबसे पढ़ी-लिखी महिला थीं।
21 की उम्र में कादम्बिनी की शादी 39 साल के विधुर द्वारकानाथ गांगुली से हुई थी। द्वारकानाथ भी ब्रह्मो समाज के एक्टिविस्ट थे। पिछली पत्नी से उनके पांच बच्चे थे और कादम्बिनी तीन बच्चों की मां बनीं। उन्होंने आठ बच्चे पाले।
कादम्बिनी इंडिया की पहली वर्किंग मॉम थीं।मां, डॉक्टर और सोशल एक्टिविस्ट का रोल एक साथ निभाना उनके लिए भी आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने दोनों जगह अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया। एक मां के रूप में भी और एक डॉक्टर के रूप में भी।
वाया : दैनिक जागरण