आज 25 दिसम्बर है, आज ही महान भारतीय शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी, पंडित मदन मोहन मालवीय और डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी की जयंती है। ये दोनो कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और दोनो ने ही भारत को एक युनिवर्सिटी दी; जिसे हम बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नाम से जानते हैं। जहां पंडित मदन मोहन मालवीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे वहीं डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी को भी मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने।
एक तरफ़ साल 2020 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया जहां अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, वहीं वो अपने संस्थापकों को बिल्कुल नज़रंदाज़ कर रहा है, उनकी जयंती पर किसी तरह के कोई प्रोग्राम नही हुआ, हद तो ये है की यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ़ से कोई भी मुख़्तार अहमद अंसारी की क़ब्र का सूध लेने नही गया। आज उनकी जयंती के दिन भी जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य रहे मुख़्तार अहमद अंसारी की क़ब्र उसी तरह जर्जर और गंदगी के हालत में है, जिस तरह से वो हमेशा से है। इस सिलसिले में जब हमने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पीआरओ अहमद अज़ीम से बात की तो उन्होंने किसी भी तरह की जानकारी होने से इनकार किया।
क़ब्रिस्तान की देख रेख करने वाले शकील कहते हैं की बटला हाऊस क़ब्रिस्तान दो हिस्से में बंटा है, एक आम है और एक वीआईपी, वीआईपी हिस्से में कम लोग दफ़न होते हैं और अधिकतर क़ब्र पक्की है, इसलिए वो असामाजिक तत्व का ठिकाना बना रहता है, नशे की हालत में अक्सर वो लोग क़ब्रों को नुक़सान भी पहुँचा देते हैं। ज्ञात रहे के वहाँ पर दर्जनो शराब की टूटी हुई बोतलें पड़ी हुई थी।
इसी सिलसिले में जब हमने दीनयात विभाग के प्रोफ़ेसर इक़तेदार मुहम्मद ख़ान से बात की तो उन्होंने कहा के क्रोना काल में मज़दूर नही मिलने के कारण जामिया प्रशासन अपने क़ब्रिस्तान का इस बार मरम्मत नही करवा पाया है, वो आगे कहते हैं के क़ब्रिस्तान के देख रेख का अलग से कोई बजट नही है, आम तौर पर जामिया स्टाफ़ अपने निजी पैसे ही मरम्मत करवाते हैं, या फिर परिवार लोग ख़ुद करवाते हैं।
इसी बीच क़ब्रिस्तान के अंदर एक क़ब्र की मरम्मत हो रही थी, जोजामिया के पुर्व वाइस चांसलर मुशिरुल हसन की थी, वहाँ काम कर रहे लोगों ने बताया के जामिया प्रशासन नही बल्कि मशीरूल हसन की पत्नी करवा रहीं हैं।
जब हमने डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी के परिवार के सदस्य अब्दुररहमान अंसारी से इस सिलसिले में बात किया तो उन्होंने कहा अंसारी मिमोरियल सोसाइटी हर साल डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी की जयंती अंसारी दिवस के रूप में धूम धाम से मनाती है। इस साल भी ग़ाज़ीपुर के डॉक्टर एमए अंसारी इंटर कॉलेज में उनका जयंती समारोह धूम धाम से मनाया गया।
जहां तक बात क़ब्र की है आख़री बार उसकी मरम्मत अंसारी मिमोरियल सोसाइटी के मैनेजर और बसपा सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने करवाया था, और तख़्ती तक बदलवाया था, पर इसके देख रेख की ज़िम्मेदारी जामिया प्रशासन की है।
अब्दुर रहमान अंसारी आगे कहते हैं के वो जल्द ही जामिया प्रशासन से बात करेंगे के वो उनके क़ब्र के देख रेख की ज़िम्मेदारी परिवार के सदस्य या फिर अंसारी मिमोरियल सोसाइटी को दे। ज्ञात होके अंसारी मिमोरियल सोसाइटी की स्थापना पुर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के पिता अब्दुल अज़ीज़ अंसारी ने की थी, जो 1927 में डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी के सचीव थे, जब डॉक्टर अंसारी कांग्रेस अध्यक्ष बने।
https://twitter.com/yusufpur/status/1342513615731974144?s=21
विडम्बना ये है के अपने अध्यक्ष चूनने के लिए जद्दोजहद कर रही कांग्रेस पार्टी ने अपने पुर्व अध्यक्ष डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी को ट्वीट कर श्रधांजलि दी। वहीं जामिया की मौजूदा चांसलर नजमा हेपतुल्लाह ने अपने यूनिवर्सिटी के संस्थापक और पुर्व चांसलर डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी को श्रधांजलि देने के लिए एक ट्वीट तक नही किया, वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अधिकारिक ट्विटर हैंडल ने हमारे ट्वीट को ही रीट्वीट कर अपना पल्ला झाड़ लिया।
Remembering the great freedom fighter and educationist Madan Mohan Malviya Ji on his birth anniversary today. pic.twitter.com/1I65GZUNUo
— Najma Heptulla (@nheptulla) December 25, 2020
ज्ञात हो के 29 अक्टूबर 1920 को अलीगढ में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना हुई, डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी जामिया मिलिया इस्लामिया की फाउंडेशन समिति के सदस्य और संस्थापकों में से एक थे, वे आजीवन उसके संरक्षक थे, डॉक्टर अंसारी ने इसकी स्थापना को बिना शर्त समर्थन दिया। 1925 में जामिया को अलीगढ़ से दिल्ली लाया गया तो वो पूरी तरह जामिया पर ध्यान देने लगे. उन्हीं का फैसला था कि ओखला में जामिया को बसाया जाये, उन्होंने वर्तमान जामिया की परिकल्पना की। भविष्य का नक्शा बनाया। ज़मीनें ख़रीदीं।
जामिया चलाने में साठ हज़ार का कर्ज़ हो गया। उस ज़माने के हिसाब से यह राशि बहुत बड़ी थी। अब्दुल मजीद ख्वाजा और डॉक्टर अंसारी ने पुरे भारत का दौरा कर चंदा इकठ्ठा किया और आखिर 1 मार्च 1935 को ओखला में जामिया की बुनियाद रखी गई। मालूम है बुनियाद का पत्थर किसने रखा ? बुनियाद का पत्थर सबसे कम उम्र के विद्यार्थी अब्दुल अज़ीज़ ने रखा था। डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी जामिया मिलिया इस्लामिया के अमीर-ए-जामिया यानी चांसलर रहते हुवे 1936 में इंतक़ाल कर गए, और उनके शरीर को उनके प्रिय जामिया मिलिया इस्लामिया की गोद में अन्ततः लेटा दिया गया।