हकीम शरीफ़ ख़ान ने 1720 में एक ‘हवेली’ बनवाया था। हकीम सादिक़ अली ख़ान जो हकीम शरीफ़ ख़ान के बेटे थे; ने हवेली के पास में ही एक मस्जिद बनवाई और अपने वालिद के नाम पर मस्जिद का नाम रखा और साथ ही उन्होने हवेला का नाम “शरीफ़ मंज़िल” अपने वालिद के नाम पर कर दिया। तब से ये ख़ानदान ए शरीफ़ी भी कहलाने लगा।
ये ख़ानदान पहले आगरा में था; जब शाहजहांनाबाद बना तब ये लोग हिजरत कर देल्ही आये; पर शाहजहां नही औरंगज़ेब के दौर में। तब से वो बल्लीमरान में ही रह रहे हैं। हकीम अकमल ख़ां, जिन्हे हाज़िक़ उल मुल्क का ख़ेताब था, वो मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला के शाही हकीम थे। हकीम अकमल ख़ां के इंतक़ाल के बाद बाद उनके बड़े बेटे हकीम शरीफ़ ख़ान ने उनकी जगह ले ली। उन्होने शरीफ़ मंज़िल बनाई; उनके बाद उनके सबसे छोटे बेटे सादिक़ अली ख़ान ने उनकी जगह ले ली; क्युंके उनके छह बेटों में पांच अलग अलग जगह बस गए, सबसे छोटे बेटे सादिक़ अली ख़ान ही शरीफ़ मंज़िल में रहे। ख़ानदान ए शरीफ़ी का ये उसूल था ख़ानदान का लीडर वही गीना जाएगा जो शरीफ़ मंज़िल में रहता हो। सादिक़ अली खा़न के बाद ग़ुलाम महमूद ख़ान हुए! उनके बाद अब्दुल मजीद ख़ान साहब हुए, उनके बाद उनके छोटे भाई वासिल ख़ान हुए, फिर उनके छोटे भाई हकीम अजमल ख़ान हुए, हकीम अजमल ख़ान के बाद उनके बड़े भतीजे हकीम मुहम्मद अहमद ख़ान, फिर उनके बाद उनके छोटे भाई ज़फ़र ख़ान हुए, फिर जमील ख़ान हुए, फिर महमूद अहमद ख़ान साहब हुए फिर अभी मसरूर अहमद ख़ान ख़ानदान के लीडर हैं।
शरीफ़ मंज़िल ने अलग अलग दौर में अलग अलग रोल अदा किया है, यहां से आज़ादी की मुहीम भी चली है, यहां महफ़िलें भी सजती थीं, यहां जल्से होते थे; यहां हकीमों के मतब और दीवानख़ाने हुआ करते थे; जहां हिन्दुस्तान भर के उमरा, राजा रजवाड़े, नवाब आया करते थे; 1857 में शरीफ़ मंज़िल रिफ़्युजी कैंप था। भारत में आज जितने भी वैध और हकीम हैं, वो इसी घराने की देन हैं, शरीफ़ मंज़िल की ही देख रेख में मशहूर हिन्दुस्तानी दवाख़ाना और तिब्बिया कॉलेज चला करता था। शुरुआती दौर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया का पुरा ख़र्च इसी घराने ने उठाया है।
पटियाला, नाभा, ग्वालयर, जिंद, रामपुर जैसे दर्जनो रियासत के शाही हकीम इसी शरीफ़ मंज़िल से ताल्लुक़ रखते थे।
(ये ब्लॉग AJK MCRC, JMI के Development Communication 2018-20 के बच्चे मुहम्मद उमर अशरफ़, अनम जावेद, नायला आसिम और साद ख़ान द्वारा लिखा गया है।)