जगदेव प्रसाद बिहार प्रान्त में जन्मे वे एक क्रन्तिकारी राजनेता थे। इन्हें ‘बिहार लेनिन’ के नाम से जाना जाता है। जगदेव बाबू को बिहार लेनिन उपाधि हजारीबाग जिला में पेटरवार (तेनुघाट) में एक महती सभी में वहीं के लखन लाल महतो, मुखिया एवं किसान नेता ने अभिनन्दन करते हुए दी थी। एक महान व्यक्तित्व का जन्म – बोधगया के समीप कुर्था प्रखंड के कुराहरी गांव में जगदेव प्रसाद का जन्म 2 फरवरी 1922 को हुआ। बिहार में जाति व्यवस्था के अनुसार दांगी जाति में जन्मे जो कुशवाहा की उपजाति है। उनके के पिता का नाम प्रयाग नारायण और माता का नाम रसकली देवी था। पिता स्कूल में शिक्षक थे और माता गृहणी।
जगदेव प्रसाद बचपन से ही मेधावी छात्र थे। अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री लेने के बाद उनका रूझान पत्रकारिता की ओर हुआ। वे पत्र -पत्रिकाओं में लेखन का कार्य करने लगे। सामाजिक न्याय के आवाज उठाने वाले लेखों के कारण इन्हें काफी समस्या हुई। इन्ही दिनों वे सोसलिस्ट पार्टी से जुड़ गए ,उन्हें सोशलिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘जनता’ में संपादन का कार्यभार सौपा गया। 1955 में हैदराबाद जाकर अंग्रेजी साप्ताहिक ‘सिटीजन ‘ और हिंदी पत्रिका ‘उदय’ के संपादन से जुड़े। अनेक धमकियों के बावजूद ये सामजिक न्याय और शोषितों के अधिकार हेतु जागरण के लिए अपनी लेखनी खूब चलाई प्रकाशक से मनमुटाव और अपने सिद्धांतो से समझौता न करने की प्रवृति के कारन वे त्यागपत्र देकर वापस पटना आ गए।
#JagdeoPrasad (2 February 1922 – 5 September 1974) was a politician and political theorist from Bihar, India.
He was the first leader to blend social justice politics with secularism.#JagdeoPrasadKushwaha was called ‘#LeninofBihar’ even when he was alive. pic.twitter.com/pItc2ImhwM
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) February 2, 2019
पटना आकर जगदेव प्रसाद समाजवादियों के साथ आन्दोलन में शामिल हो गए। 1957 में उन्हें पार्टी से विक्रमगंज लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया मगर वे चुनाव हार गए। 1962 में बिहार विधानसभा का चुनाव कुर्था से लड़े पर विजयश्री नहीं मिल सकी। वे 1967 में वे कुर्था विधासभा से पहली बार चुनाव जीते। इसी साल उनके अथक प्रयासों से स्वतंत्र बिहार के इतिहास में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी और महामाया प्रसाद सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाया गया। पहली गैर-कांग्रेस सरकार का गठन हुआ। बाद में पार्टी की नीतियों तथा विचारधारा के मसले पर उनकी राम मनोहर लोहिया से अनबन हुई।
शोषित दल का गठन – ‘कमाए धोती वाला और खाए टोपी वाला’ की स्थिति देखकर जगदेव प्रसाद ने संसोपा छोड़ दिया। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, 1966 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी का एकीकरण हुआ था। जगदेव प्रसाद ने 25 अगस्त 1967 को ‘शोषित दल’ नाम से नई पार्टी बनाई। उस समय अपने भाषण में कहा था- “जिस लड़ाई की बुनियाद आज मैं डाल रहा हूं, वह लम्बी और कठिन होगी। चूंकि मै एक क्रांतिकारी पार्टी का निर्माण कर रहा हूं इसलिए इसमें आने-जाने वालों की कमी नहीं रहेगी परन्तु इसकी धारा रुकेगी नहीं। इसमें पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे तथा तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे।जीत अंततोगत्वा हमारी ही होगी।
शोषित समाज दल – 7 अगस्त 1972 को शोषित दल और रामस्वरूप वर्मा जी की पार्टी ‘समाज दल’ का एकीकरण हुआ और ‘शोषित समाज दल’ नमक नई पार्टी का गठन किया गया। एक दार्शनिक और एक क्रांतिकारी के संगम से पार्टी में नई उर्जा का संचार हुआ। जगदेव बाबू पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में जगह-जगह तूफानी दौरा आरम्भ किया। बिहार की राजनीति में एक ऐसे दौर की शुरुआत हुई जब जगदेव प्रसाद के क्रांतिकारी भाषण से कई तबके के लोगों को परेशानी होने लगी।
कुर्था में शहादत – पांच सितम्बर 1974 को कुर्था में जनसभा दौरान जगदेव बाबू की हत्या कर दी गई। उस दिन रैली में में बीस हजार लोग जुटे थे। जगदेव बाबू ज्यों ही लोगों को संबोधित करने के लिए बाहर आए पुलिस प्रशासन के मौके पर मौजूद अधिकारी ने जगदेव बाबू को गोली मारने का आदेश दिया। समय अपराह्न साढ़े तीन बज रहे थे। 27 राउंड गोली फायरिंग की गई जिसमें एक गोली बारह वर्षीय दलित छात्र लक्ष्मण चौधरी को लगी और दूसरी गोली जगदेव बाबू के गर्दन को बेधती हुई निकल गई। जगदेव बाबू ने ‘जय शोषित, जय भारत’ कहकर अपने प्राण त्याग दिए। सत्याग्रहियों में भगदड़ मच गई। पुलिस ने धरना देने वालों पर लाठी चार्ज किया। उसी दिन बीबीसी लन्दन ने पौने आठ बजे संध्या के समाचार में घोषणा किया कि बिहार लेनिन जगदेव प्रसाद की हत्या शांतिपूर्ण सत्याग्रह के दौरान कुर्था में पुलिस ने गोली मारकर कर दी।
जगदेव प्रसाद के दिए नारे :- सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग ललकारा है।। दस का शासन नब्बे पर, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।। गोरी गोरी हाथ कादो में, अगला साल के भादो में।। दो बातें हैं मोटी-मोटी, हमें चाहिए इज्जत और रोटी।।