हफ़ीज़ किदवई
दो नाम कहें या दो दौर कहें, या एक दौर की दो नुमाइश कहें, मजाज़ और मंटो। इनके दिलों को ज़मीन के बंटवारे ने कमज़ोर कर दिया। मजाज़ भले ही मंटो से सात आठ महीने बड़े रहें हो मगर मंटो ने मजाज़ से दस महीने पहले रुखसत होकर यह फासला भी खत्म कर दिया। सन् 55 की शुरआत मंटो को ले गई तो जाता जाता सन् 55 अपने साथ मजाज़ को भी लेते गया।
This one has been around for a while but still: #Majaz #JigarMoradabadi #AliSardarJafri #RahiMasoomReza pic.twitter.com/m3ONllElhP
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 19, 2018
एक ने कहानियाँ बुनी तो एक ने ग़ज़लें। दोनों में एकसा दर्द। दोनों की कैफ़ियत एक सी, मसख़रे इतने की ज़िन्दगी ही मज़ाक बन गई। अर्रे हम भी मजाज़ को याद करते करते मंटो तक चले गए। दिमाग अजब बहका है मेरा भी, यह भी नही की मजाज़ को पहले आजके दिन की पैदाइश की मुबारकबाद तो दे देते। लेकिन क्या करें, यह दोनों कच्ची उम्र की मौतों ने जितना मेरे ज़हन पर ज़ुल्म किया है,उतना किसी चीज़ से नही हुआ।
मजाज़ को रुदौली से लखनऊ, अलीगढ़, दिल्ली,बम्बई किन किन गलियों से पहचाने। जब जब गुज़रता हूँ तो लगता है की अभी मजाज़ निकल के गए हैं यहाँ से, सब बेरौनक हो रखा है। मुझे मजाज़ की नज़्मों से ज़्यादा मजाज़ की ज़िन्दगी अपनी ओर घसीटती है। जब मैं किसी अमीर शख़्स की महफ़िल में अपने फ़न की नुमाइश के लिए बुलाया जाता हूँ, तो मजाज़ मेरा हाथ पकड़, मुझे रोक लेते हैं।
रोक कर कहते हैं की यह तुम्हे बेइन्तहां चाय पिलाएंगे जैसे मुझे शराब पिलाते थे। जब इनकी तबियत भर जाएगी तो तुम्हारे लिए भी सर्द रात में बाहर का दरवाज़ा खोल देंगे और तुम अपनी वाह वाह वाह वाली आवाज़ों के शोर को सुनते सुनते कहीं सड़क किनारे लेट जाओगे और कोहरा चादर बनकर तुम्हे ढँक लेगा, जहाँ सबकी तो सुबह होगी मगर मजाज़ की नही…
मैं रुक जाता हूँ और मजाज़ से ज़िन्दगी के तमाम तजर्बे पर बात करता रहता हूँ। इतनी बात, इतनी बात की कहने को कुछ रह ही नही जाता तो दोनों चुप होकर एक दूसरे को देखने लगते हैं। उन्हें शिकवा की मैं पहले क्यों नही आया, हमे शिकवा की वह थोड़ा और क्यों नही रुके, यूँहीं, बस यूँहीं मजाज़ मेरे पास से उठकर चले जाते हैं और मजाज़ को पैदाइश की मुबारकबाद अनसुनी रह जाती है… हमेशा की तरह अनसुनी…. जैसे उसे पैदा होने से कोई लिल्लाही बैर हो,जैसे वह मौत को ही मोहब्बत करता हो… लोग पैदाइश की मुबारकबाद देते हैं और वह चीखकर रो भी नही पाता, बस सिसककर अल्फ़ाज़ में बह जाता है, और जब कोई मौत का दावतनामा लाता है तो मजाज़ चहककर उसे मुस्कुराते हुए होंटो पर लगा गटक जाता है, क्योंकि उसे पता है जिस दुनिया में उसकी ख्वाहिश न शामिल हों,वह बदसूरत है दुनिया… क्या मुबारकबाद दें मजाज़, फिर भी आपकी पैदाइश दुनिया को मुबारक की उन्होंने कम वक़्त में बहुत बड़ा वक़्त देख लिया…
लेखक #हैशटैग को उपयोग कर लगातार विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहे हैं!