नेताजी सुभाष चंद्रा बोस और उनके मुस्लिम साथियों की वीरगाथा

 

नेताजी और भारतीय मुसलमान : इस शीर्षक से मुझे नफ़रत है क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्रा बोसहिन्दू/मुस्लिम जैसे शब्दों से परहेज़ करते थे. पर आज के जो हालात हैं, उसमें इस शीर्षक का इस्तेमाल करना रहा है. तो आइये देखते हैं आज़ाद हिंद फ़ौज में मुसलमानों की भूमिका :-

आबिद हसन : जय हिंद का नारा देने वाले और नेताजी के निजी सहायक जिन्होंने जर्मनी से जापान की पनडुब्बी यात्रा नेताजी के साथ की।

कर्नल हबीबुर रहमान : आज़ाद हिंद फ़ौज के संस्थापकों में से एक और नेताजी के सबसे वफ़ादार साथी, जिन्हें नेताजी अपनी आख़री हवाई यात्रा पर 18 अगस्त 1945 को साथ ले गए।

कर्नल एहसान क़ादिर : आज़ाद हिंद फ़ौज के संस्थापकों में से एक जो आज़ाद हिंद रेडियो के डायरेक्टर भी बने। साथ ही आज़ाद हिंद दल की स्थापना में अहम रोल अदा किया।

कर्नल इनयतुल्लाह हसन : आज़ाद हिंद फ़ौज के चीफ़ ट्रेनर थे, साथ ही आज़ाद हिंद रेडियो के लिए देशभक्ति ड्रामे लिखने वाले।

मेजर जनरल शाहनवाज़ ख़ान : आज़ाद हिंद फ़ौज कमांडर इन फ़ोर्स जिनकी क़यादत में आज़ाद हिंद फ़ौज के सिपाहियों भारत की ज़मीन पर हमले शुरू किए, जिसमें नागालैंड, अराकान का महाज़ है।

कर्नल महबूब अहमद : आज़ाद हिंद फ़ौज और आज़ाद हिंद सरकार के बीच तालमेल रखने वाले एक अहम ऑफ़िसर। नेताजी के मलेट्री सिक्रेटरी भी रहे।

करीम ग़नी और डी.एम.खान : आज़ाद हिंद सरकार के छः एडवाइज़र में से दो, जिन्हें युद्ध ख़त्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने अपने दुश्मन के लिस्ट में डाला।

यूसुफ़ मरफ़ानी : आज़ाद हिंद फ़ौज को सबसे अधिक दान देने वाले। उस ज़माने मे 1 करोड़ दान देकर एक फ़ौज की वर्दी ली।

मेजर जनरल मोहम्मद ज़माँ ख़ान कियानी : आज़ाद हिंद फ़ौज के फ़र्स्ट डिविज़न के कमांडर जिनके अंदर गांधी/नेहरू/आज़ाद ब्रिगेड के कमांड थी। नेताजी सुभाष चंद्रा बोस 18 अगस्त 1945 को जब हबीब उर रहमान के साथ हवाई यात्रा पर गए, तब उन्होंने आर्मी चीफ़ मेजर जनरल मोहम्मद ज़मान खान कियानी को बनाया।

नेताजी सुभाष चंद्रा बोस द्वारा “तमगा-ए-सदर-ए-जंग” अवार्ड पाने वाले मुस्लिम सिपाही

1. कर्नल एस.ए.मलिक
2. मेजर सिकन्दर खान
3. मेजर आबिद हुसैन
4. कैप्टन ताज मोहम्मद

नेताजी सुभाष चंद्रा बोस द्वारा “तमगा-ए-वीर-ए-हिन्द” अवार्ड पाने वाले मुस्लिम सिपाही

1. लेफ्टिनेंट असरफी मंडल
2. लेफ्टिनेंट इनायत उल्लाह

नेताजी सुभाष चंद्रा बोस द्वारा “तमगा-ए-बहादुरी” अवार्ड पाने वाले मुस्लिम सिपाही

1. हवलदार अहमद दीन
2. हवलदार दीन मोहम्मद
3. हवलदार हकीम अली
4. हवलदार गुलाम अहमद शाह

नेताजी सुभाष चंद्रा बोस द्वारा “तमगा-ए-शत्रुनाश” अवार्ड पाने वाले मुस्लिम सिपाही

1. हवलदार पीर मोहम्मद
2. हवलदार हकीम अली
3. नाइक फैज मोहम्मद
4. सिपाही गुलाम रसूल
5. नाइक फैज बख्श

नेताजी सुभाष चंद्रा बोस द्वारा “सनद-ए-बहादुरी” अवार्ड पाने वाले मुस्लिम सिपाही

1. हवलदार अहमदउद्दीन
2. हवलदार मोहम्मद असग़र
3. हवलदार गुलाम शाह

एक नाम आख़िर में लिखना चाहता हूँ :

कर्नल शौकत अली मलिक – 14 अप्रैल 1944 को जब आज़ाद हिंद फ़ौज ने मणिपुर के मोइरंग को आज़ाद करवाया, तब शौकत मलिक ही वो शख़्स थे, जिन्होंने सबसे पहले आज़ाद भारत मे आज़ाद हिंद सरकार का तिरंगा फहराया था, जिसमें निशान के रूप में टीपू सुल्तान का बाघ था। और वहाँ पर आबिद हसन द्वारा दिया हुआ नारा “जय हिंद” की आवाज़ इतना ज़ोर से गुंजा के उसकी आवाज़ दिल्ली तक सुनी गई।