नेताजी के कॉमरेड : भगत राम तलवार की गाथा
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
पिछले दिनो गया के एक ख़ानक़ाह के नादिर मक़तूतात को देख रहा था, उसी दौरान एक सफ़ेद काग़ज़ दिखा, जिस पर मोहर लगा हुआ […]
नेताजी और भारतीय मुसलमान : इस शीर्षक से मुझे नफ़रत है क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्रा बोसहिन्दू/मुस्लिम जैसे शब्दों से परहेज़ करते थे. पर आज […]
एक आम समझ ये रही है कि भारत छोड़ो आंदोलन कांग्रेस बल्कि महात्मा गाँधी का आंदोलन था और आज़ाद हिंद फ़ौज सुभाष चंद्र बोस […]
एक ज़माना था के जब भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा सब एक-दूसरे से जुड़े थे; यानी एक मुल्क थे। और आज एक दूसरे से अलग- […]
प्रथम विश्व युद्ध में दौरान 1 दिसम्बर 1915 को राजा महेन्द्र प्रताप की अध्यक्षता में प्रवासी भारतीय सरकार की स्थापना काबुल में की जाती है। […]
प्यारे दोस्तो! मेरा बचपन से ही क्रन्तिकारी विचारधारा के साथ सम्बन्ध रहा है । 1931 में जब मैं पांचवीं जमात का छात्र था, 23 मार्च को अँगरेज़ हुकूमत ने शहीदे आज़म भगत […]
निम्न अंश सुभाष चंद्र बोस के हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन, 19 फ़रवरी, 1938 के भाषण से लिया गया है। नेताजी ख़ुद इस अधिवेशन की अध्यक्षता […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]