अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब, 1927 में पटना के तिब्बी कॉलेज में बना छात्रों का संगठन

भारत में पहला सरकारी यूनानी कॉलेज पटना में एक लम्बे आंदोलन के बाद गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना के रूप में 29 जुलाई 1926 को खुला। इसके पहले प्रिंसिपल हकीम मुहम्मद इदरीस साहब थे, जो इस कॉलेज के संस्थापक सदस्य भी थे। चूँकि वो शुरू से ही इस कॉलेज को खोलने के लिए चल रहे आंदोलन से जुड़े हुए थे, इसलिए उन्हें इल्म था के उनके उपर जिस संस्था की ज़िम्मेदारी है, वो उस वक़्त की हुकूमत पर दबाव डाल कर खोला गया है।

इस वजह कर इस संस्था को मज़ीद बेहतर बनाने और वहाँ पढ़ रहे बच्चों के अंदर लीडरशिप पैदा करने के गर्ज़ से उन्होंने एक संगठन की बुनियाद डाली, जिसका काम तिब्बी कॉलेज के बच्चों को संगठित कर उनको ट्रेंड करना था, ताकि कभी यूनानी तिब पर कोई आँच आए तो ये लोग उसके लिए जद्दोजहद कर सकें। इस संगठन का नाम था “अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब”।

प्रिंसिपल हकीम मुहम्मद इदरीस की अध्यक्षता में 31 जुलाई 1927 को पटना में इस संगठन की बुनियाद डाली गई। उस्ताद और शागिर्द में तालुक़ात बेहतर रखने के लिए जहाँ अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब का अध्यक्ष जहां कॉलेज के प्रिंसिपल होते थे, तो वहीं सिक्रेटरी यानी सचिव कॉलेज के बच्चे। शुरू में इस संगठन का कार्य क्षेत्र गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना तक ही सीमित था, लेकिन बाद में पटना में चलने वाले कई आंदोलन ने यहाँ बच्चों को अपनी तरफ़ आकर्षित किया। यहाँ के बच्चों ने भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर जेपी आंदोलन में ख़ूब हिस्सा लिया।

कॉलेज से मिले दस्तावेज़ से पता चलता है की 1930 में अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब के सचिव सैयद जफ़रूल हसन थे। 1939 में अब्दुल हलीम, 1940 में अबूबकर सल्फ़ी, 1941 में मुहम्मद रफ़ीउद्दीन और 1943 में मुहम्मद अशरफ़ करीम। वैसे मुहम्मद अशरफ़ करीम बाद में अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब के अध्यक्ष भी बने, क्यूँकि 20 फ़रवरी 1970 को उन्होंने गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना के प्रिंसिपल का पद संभाला।

छात्रों के मुद्दों को लेकर इस संगठन ने कई बार प्रदर्शन किया, धरना दिया और अपनी माँगें बेबाकी से रखीं। आज भी दस्तावेज़ की शक्ल वो सारी प्रेस किलिप और तस्वीरें अंजुमन ख़ुद्दाम ए तिब के दफ़्तर में मौजूद हैं। ये संस्था आज भी क़ायम है, लगातार गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना के छात्रों के लिए कार्य कर रहा है। इस संगठन के बैनर तले कोई न कोई प्रोग्राम होते रहता है। जो इसके संस्थापक हकीम मुहम्मद इदरीस साहब की दूरअंदेशी का एक नमूना है।

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.