फ़ज़लुर रहमान, मज़दूरों की लड़ाई लड़ने वाला भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी

फ़ज़लुर रहमान का जन्म 1918 में बिहार के चम्पारण ज़िला के बेतिया के कंधवलिया गाँव में हुआ था। वालिद का नाम मुहम्मद यासीन था। शुरुआती तालीम घर पर हासिल की। फिर बेतिया राज स्कूल में दाख़िला लिया। मैट्रिक के बाद आई.ऐ. करने मुज़फ़्फ़रपुर के ग्रीयर भूमिहार ब्रह्मण कॉलेज में गए। बचपन से ही इंक़लाबी थे, मुल्क के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा था।

जब नेताजी सुभाष चंद्रा बोस ने फ़ॉर्वर्ड ब्लॉक बनाया तो बिहार में उसके जेनेरल सिक्रेटरी बने। स्वामी सहजानंद के क़रीब रहे, किसान सभा के काम में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। मज़दूर और किसानों के हक़ की आवाज़ बुलंद की। भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। और गिरफ़्तार भी हुए। 1942 से 1945 तक भारत की आज़ादी की ख़ातिर मोतिहारी और हज़ारीबाग़ जेल में रहे। जेल में कई बड़े नेताओं से मुलाक़ात हुई। कई से बड़े अच्छे तालुक़ात जीवन भर क़ायम रहे। इसमें प्रमुख नाम है बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्णा सिंह का है।

1952 में फ़ज़लुर रहमान ने कांग्रेस की सदस्यता ली और सिकटा से चुनाव लड़ कर विधायक बन विधानसभा पहुँचे। मज़दूरों के हक़ के लिए लड़ने की पुरानी आदत थी, एक बार विधानसभा में विपक्ष के लाए हुए प्रस्ताव का ही समर्थन कर डाला। जिस कारण पार्टी आलाकमान नाराज़ हो गई। 1957 के चुनाव में उन्हें हराने के लिए रणनीति बनाई गई। पर श्रीकृष्णा सिंह के समर्थन के कारण जीत गए।

Fazlur Rahman was imprisoned during 1942-45 for his participation in the freedom movement of the country.

इधर नेता-पद को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। कृष्णवल्लभ सहाय और अनुग्रह नारायण सिंह ने श्रीकृष्णा सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा था। अनुग्रह नारायण सिंह को नेता-पद के लिए उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया गया। तब फ़ज़लुर रहमान ने श्रीकृष्णा सिंह के लिए लॉबिंग की और उन्हें बढ़त मिली। इसके बाद श्रीकृष्णा सिंह ने 1957 में ही फ़ज़लुर रहमान को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का जेनेरल सिक्रेटरी बनाया। दो बार विधायक रहने के बाद फ़ज़लुर रहमान को बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया गया।

वो विभिन्न पद पर, विभिन्न कमेटी के सदस्य रहे। आपातकाल के बाद कांग्रेस में कई गुट बन गए। तब फ़ज़लुर रहमान जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में बेतिया से लोकसभा का चुनाव लड़ कर सांसद बने। इसके बाद भारत सरकार के विभिन्न पोर्टफ़ोलियो के राज्यमंत्री के साथ श्रममंत्री भी बने। इस दौरान उनका काम काफ़ी सराहनीय रहा। पर चुके जनता पार्टी की सरकार अधिक कामयाब नही रही, इसलिए इनकी मज़दूरों के लिए लाई हुई विभिन्न स्कीम भी ठंडे बस्ते में पड़ी रही। आप लगातार सामाजिक कार्य में लगे रहे। 16 मार्च 2004 को फ़ज़लुर रहमान का 86 साल की उमर में इंतक़ाल हुआ। उन्हें उनके आबाई वतन में दफ़ना दिया गया।

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.