जब डॉक्टर फ़रीदी और पेरियार ने नारा दिया “अक़लियतो का नारा हिंदुस्तान हमारा”

 

 

जब सर्वप्रथम पेरियार उत्तर प्रदेश लखनऊ आये!

[दो दिवसीय सम्मेलन की डिटेल]
आल इण्डिया शेडूलड कास्ट, मायनोरिटीज़, बैकवर्ड क्लासेस व अन्य मायनोरिटीज़ कन्वेंशन
“भारतीय अल्पसंख्यको की समस्याएं”
कार्यक्रम की अध्यक्षता: पेरियार ई वी रामासामी
मुख्य वक्ता: भंते भदत आनंद कौसल्यायन बी. श्याम सुन्दर (आंध्र प्रदेश) छेदीलाल साथी, करपुरी ठाकुर, बी एन मंडल और हिंदी पट्टी से आए अहम बहुजन नेता
दिनांक: 12 – 13 अक्तूबर 1968
स्थान: बारादरी लखनऊ उत्तर प्रदेश
आयोजक: डॉक्टर ए जे फरीदी, बी श्याम सुंदर
गठन:“द फेडरेशन ऑफ़ बैकवर्ड क्लासेस शेडूलद कास्ट्स एंड अदर मायनोरिटीस”

डॉक्टर ए जे फरीदी इतिहास में ऐसा नाम है जिसे आज की बहुजन और समाजवादी राजनीत ने बिल्कुल भुला दिया, जिसके पन्ने पलटने पर कमज़ोर वर्गो का 60 के दशक का सुंदर इतिहास सामने आता है की तब हिंदी पट्टी के क्या क्या घट रहा था, फरीदी पीएसपी की तरफ से एमएलसी रहे और विधानपरिषद के नेता विरोधी दल रहे, उन्हे तत्कालीन सीएम सी बी गुप्ता को दो चुनाव हराने का क्रेडिट दिया जाता रहा है जिन्हे उस समय छोटे लौह पुरुष का खिताब था, वही वो दूसरी तरफ एससी एसटी ओबीसी और मुसलमानों के कमज़ोर तबकों को एक करने पर जोर देकर देशभर के सामाजिक न्याय की ताकत को जोड़ रहे थे

उनके पक्के इरादो सामाजिक न्याय के प्रति कट्टर ईमानदारी से समाजवादियो से प्रतिनिधित्व और वादों पर खरा न उतरने को लेकर विरोध सामने आते रहते थे, पीएसपी छोड़ने के बाद उनकी 85% बनाम 15 पर आधारित सामाजिक न्याय पर केंद्रित राजनीतिक दल “मुस्लिम मजलिस” भले ही कुछ जिलो में केन्द्रित रही हो लेकिन इसने कांग्रेस से मुसलमानों को हटाकर समाजवादियो से जोड़ने का काम किया था जिसके बाद गैर कांग्रेस सरकारों का दौर शुरू हुआ!

फरीदी ने जो मुस्लिम मजलिस में जो राजनीतिक प्रोग्राम तय किया वोह खांटी बहुजन 85% शोषित पिछड़े, मुसलमान व अनुसूचित जातियों में राजनीतिक चेतना जगाकर उन्हें शोषण करने वालो के खिलाफ खड़ा करने की तरफ बढ रहे थे, मुस्लिम मजलिस के कार्यक्रम में उन्होंने तय किया की कांग्रेस के जुल्म का शिकार अहसास कमतरी के शिकार मुसलमानों की संगठित करना, मुसलमानों की ज़िन्दगी, आत्मसम्मान, संस्कृति सभ्यता, भाषा धार्मिक विश्वास के संरक्षण के लिए संघर्ष छेड़ना, मुसलमानों की राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, पिछड़ेपन को दूर करना, ऐसे समाज का निर्माण करना जिससे सभी कमज़ोर वर्ग आत्मसमान की ज़िन्दगी जी सके, अन्याय, गैरबराबरी, इम्तियाज़, धारणा पर आधारित सरकारी नीतियों का विरोध करना, गरीब और कमज़ोर तबको पर पुजीपतियो द्वारा शोषण के विरूद्ध आवाज़ बनना इन 8 बिन्दुवो पर बहुजन केन्द्रित राजनीत की उत्तर प्रदेश में शुरुआत हुयी, डॉक्टर फरीदी ने सीधे सीधे 85-15 का नारा दिया और कहा की 15% स्वर्ण हिंदुओ द्वारा एक बड़े तबके 85% शोषित वर्गों पर अन्याय और शोषण हुआ है!

इस विचार ने देश के महान सामाजिक न्याय की शख्सियत का ध्यान अपनी तरफ खेंचा और बहुजन आन्दोलन की नीव उत्तर प्रदेश में बीज पड़ने लगे और इसी साल डॉक्टर फरीदी ने आंध्र प्रदेश के समाज सुधारक “कायद ए पुस्तख़म” कहे जाने वाले बी. श्याम सुन्दर, छेदीलाल साथी के साथ लखनऊ के बरदारी में 12-13 अक्टूबर 1968 को आल इण्डिया शेडूलड कास्ट, मायनोरिटीज़, बैकवर्ड क्लासेस व अन्य मायनोरिटीज़ कन्वेंशन जो “भारतीय मुसलमानों की समस्याओ” शीर्षक पर केन्द्रित था इसका आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता के लिए दक्षिण के द्रविड़ क्रन्तिकारी नेता पेरियार ई वी रामासामी दो दिन के लिए अपनी मोटर कार से सुदूर लखनऊ का सफ़र किया!

इस वक़्त पेरियार का जातिप्रथा के उन्मूलन के खिलाफ आन्दोलन चरम पर था, इस कार्यक्रम में भंते भदत आनंद कौसल्यायन शामिल हुए, डॉक्टर फरीदी और पेरियार ने नारा दिया “अकलियतो का नारा हिंदुस्तान हमारा” दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रस्ताव पारित कर “द फेडरेशन ऑफ़ बैकवर्ड क्लासेस शेडूलद कास्ट्स एंड अदर मायनोरिटीस का गठन हुआ और बहुजन आन्दोलन के भविष्य के लिए 11 पॉइंट प्रोग्राम तय हुआ!

शिक्षा पद्धति में बदलाव, इलेक्टोरल रिफार्म, वेलफेयर स्टेट का निर्माण, मुस्लिम पर्सनल लॉ का बचाव, मात्रभाषा का संरक्षण, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के उथान के लिए मन्त्रालय का गठन, धार्मिक न्यास में सामाजिक बदलाव, पैरा मिलिट्री बल का पुनार्गठन हो, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और बिहार राज्यों को बाँटा जाये, अल्पसंख्यको को कोर्पोरेट एंटिटीज़ मानकर उन्हें मामलो को निबटाने की स्वायत्तता दी जाए, अर्धसैनिक बलों के पुनर्निर्माण तथा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र और बिहार जैसे बड़े राज्यों को दो या अधिक राज्यों में विभाजित करने की मांग की। उन्होंने इस बात की वकालत की कि अल्पसंख्यकों को कॉर्पोरेट संस्थाओं के रूप में माना जाना चाहिए और उनके मामलों के संचालन के लिए उन्हें स्वायत्तता दी जानी चाहिए।

अपनी उत्कृष्ट साझी हिंदुस्तानी संस्कृति के लिए जाना जाने वाला शहर लखनऊ में आयोजित इस सम्मेलन के मंच से “अकलियतों का का नारा हिंदुस्तान हमारा” नारे को एक स्वर में घोषणा की गई।

पेरियार ने कहा की मैं शोषित अल्पसंख्यकों की महान भूमि को जगाने और एकजुट होने के लिए आह्वान करता हूं; मैं उन्हें चेतावनी देता हूं कि यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो वे एक-एक करके समूह दर समूह और समुदाय के समुदाय नष्ट कर दिए जाएंगे। आगे वो घोषणा करते हैं कि अनुसूचित वर्ग, पिछड़ा, मुसलमान एकजुट होकर वे बहुसंख्यक हो जाते हैं और उनका यह नैसर्गिक अधिकार है कि वो अपने इस जन्मभूमि के भविष्य का पथ प्रदर्शन करने में एक प्रभावी भूमिका निभाएं, और मैं अपनी ओर से और अधिवेशन की ओर से हमारी मातृभूमि के प्रति गहरी आस्था एवं समर्पण व्यक्त करते हुए है समापन करता हूं कि ‘अकलियतों का नारा हिंदुस्तान हमारा’।

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले बसपा के पूर्व सांसद इलियास आज़मी जो मान्यवर काशीराम के नजदीकी लोगो में से थे उन्हें कांशीराम जी ने बताया की जिस पंजाब की फैक्ट्री में वोह उस समय काम करते थे उसनके कुछ साथी इस सम्मलेन में भाग लेने आये थे जिससे दो दिवसीय सम्मलेन की रूप रेखा और भविष्य के लिए फरीदी- पेरियार का 8 सूत्रीय कार्यक्रम उन तक पंहुचा जिससे उन्होंने आगे का रास्ता तय किया, वास्तव में यह दो दिवसीय लखनऊ में यह आयोजन श्री कांशीराम द्वारा शुरू किए गए बहुजन आंदोलन का अग्रदूत था।

 

यह लेख अमीक जामेई की आने वाली किताब “डॉ ए जे फरीदी” शख्सियत और उनके विधानपरिषद के सेलेकटिव भाषण” से लिया गया है।