न दबाया ज़ेरे-ज़मीं उन्हें, न दिया किसी ने कफ़न उन्हें – न हुआ नसीब वतन उन्हें, न कहीं निशाने-मज़ार है.

न दबाया ज़ेरे-ज़मीं उन्हें, न दिया किसी ने कफ़न उन्हें
न हुआ नसीब वतन उन्हें, न कहीं निशाने-मज़ार है.

ये महज़ इत्तेफ़ाक़ ही है की हमारे मुल्क के उन तीन अज़ीम शख़्सियत को अपने मुल्क की माटी भी नसीब नही हुई जिन्होने हिन्दुस्तान के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान कर दिया…

* बहादुर शाह ज़फ़र :- बादशाह हिन्दुस्तान
* बेगम हज़रत महल :- बेगम आफ़ अवध
* मौलवी बरकतुल्लाह भोपाली :- भारत की अंतःकालीन सरकार के प्राधानमंत्री

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एक ज़माना था जब लोग बहादुर शाह ज़फ़र के क़ब्र की मिट्टी रंगुन(बर्मा) से और बेगम हज़रत महल के क़ब्र की मिट्टी काठमांडु(नेपाल) से हिन्दुस्तान लाने की बात करते थे पर आज कल तो इन्हे भुला ही दिया गया है… और कैलीफ़ौरनिया (अमेरिका) मे लेटे मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली को तो किसी ने कभी याद ही नही किया! यहां तक के आज़ाद भारत का कोई भी प्रधानमंत्री उनकी क़बर पर हाज़री देने तक नही गया। इस लिए इनके वापसी के लिए आज तक कोई मज़बूत अवाज़ भी नही उठाई गई, जबके ये उनकी चाहत थी के हिन्दुस्तान के आज़ाद होने के बाद उन्हे वापस उनके मुल्क हिन्दुस्तान मे दफ़न कर दिया जाए…

इसमे एक नाम और जोड़ा जा सकता था और वो नाम है मौलाना मोहम्मद अली जौहर जिन्होने गोल मेज़ सम्मेलन लण्डन मे ही अंग्रेज़ो को ये कह दिया था :- या तो हिन्दुस्तान को आज़ाद कर दो या फिर मुझे सरज़मीन ए फ़लस्तीन मे दफ़न होने के लिए जगह फ़रहम कर दो क्यो़के मै ग़ुलाम मुल्क मे दफ़न नही होना चाहता. इंतक़ाल करने के बाद मौलाना मोहम्मद अली जौहर को बैतुल मुक़द्दस मे मसजिद ए अक़्सा के आहते मे दफ़ना दिया गया. मौलाना मोहम्मद अली जौहर इकलौते हिन्दुस्तानी और पहले ग़ैर-अरब हैं जिन्हे मसजिद ए अक़्सा के आहते मे दफ़नाया गया हो…

इसके इलावा बिहार के लाल और वहां के पहले वज़ीर ए आज़म बैरिस्टर मुहम्मद युनूस इंगलैंड में दफ़न हैं, वहीं रेशमी रुमील तहरीक के नायक और अज़ीम इंक़लाबी मौलाना मुहम्मद मियां मंसूर अंसारी अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद में दफ़न हैं, जिनकी आख़री ख़्वाहिश थी के उनकी मौत उनके मादर ए वतन हिन्दुस्तान में हो! पर अफ़सोस….

Md Umar Ashraf

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.