हरियाणा के किसानों के बीच सर छोटूराम एक जाना-पहचाना नाम हैं. 24 नवम्बर 1881 को जन्मे सर छोटूराम हरियाणा के रोहतक ज़िले के गढ़ी साँपला गाँव के रहने वाले थे.
इनका असली नाम राम रिचपाल था. चूँकि ये घर में सबसे छोटे थे तो इन्हें छोटू राम कहकर बुलाया जाने लगा. वो रोहतक ज़िले के सांपला गाँव में रहते थे.
Commemorative Stamp and First Day Cover on #SirChhotuRam issued by Indian Postal Department.
Date of issue : 9:1:1995#RamRichpal (24 November 1881 – 9 January 1945) was a prominent politician in British India, an ideologue of the peasants of pre-Independent India. pic.twitter.com/KzwMF7Yhk4
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 11, 2018
प्रारंभिक पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली के ‘संत स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और फिर एलएलबी पढ़ने वो इलाहाबाद चले गए. फिर पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वापस लौटकर वकालत भी की और इसी दौरान वो कांग्रेस में शामिल हो गए.
मगर 1920 में उन्होंने सभी समुदायों के किसानों को एकजुट करना शुरू कर दिया और एक नए राजनीतिक दल का गठन किया- ‘यूनियनिस्ट पार्टी’ या ज़मींदाराना लीग. अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुए चुनावों में ‘यूनियनिस्ट पार्टी’ ने चुनाव जीत लिए और सरकार बना ली. तब लाहौर अविभाजित पंजाब प्रांत की राजधानी हुआ करता था.
ब्रिटिशों के शासनकाल में उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. सर छोटूराम को नैतिक साहस की मिसाल माना जाता है.
ब्रिटिश राज में किसान उन्हें अपना मसीहा मानते थे. वे पंजाब राज्य के एक बहुत आदरणीय मंत्री (राजस्व) थे और उन्होंने वहाँ के विकास मंत्री के तौर पर भी काम किया था. ये पद उन्हें 1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनावों के बाद मिला था.
Sir Mian Fazl-i-Husain , KCSI (14 June 1877 – 9 July 1936) was an influential Punjabi politician during the British Raj and a founding member of the #UnionistParty of the #Punjab with #SikandarHayatKhan and #SirChhotuRam. pic.twitter.com/ceAXvj0B6z
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 11, 2018
राजस्व मंत्री रहते हुए सर छोटू राम की पहल पर दो प्रमुख क़ानून बने. पहला था पंजाब रिलीफ़ इंडेब्टनेस एक्ट 1934 और पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट 1936 जिससे किसानों को सूदखोरों के चंगुल से मुक्ति मिली. इन क़ानूनों की वजह से किसानों को ज़मीन के अधिकार मिलने का रास्ता साफ़ हुआ.
इसके अलावा उन्हें भाखड़ा बांध बनाने में भी अहम भूमिका निभायी थी.
जाट समुदाय के लोगों के अलावा उन्हें अन्य समुदायों के बीच भी बड़े सम्मान से देखा जाता रहा है क्योंकि सर छोटू राम ने अपनी तनख़्वाह से आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों की मदद करनी शुरू की. उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अंग्रेज़ी हुकूमत ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी थी.
9 जनलरी 1945 को सर छोटूराम का लाहौर में निधन हो गया. मगर उनके पार्थिव शरीर को रोहतक लाया गया. उनका अंतिम संस्कार उन्हीं के बनाए स्कूल- जाट हीरोज़ मेमोरियल एंग्लो संस्कृत सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुआ. आज भी इस स्कूल में उनकी समाधि है.
#SikandarHayatKhan (5 June 1892 –25/26 December 1942) remained the most popular and influential politician in Punjab during his lifetime.
He formed a secular party, #UnionistParty with #SirChhotuRam to represent #Punjab.
He served as Prime Minister of the Punjab from 1937-1942. pic.twitter.com/eEoNbkR9pe
— Heritage Times (@HeritageTimesIN) October 11, 2018
उनके चाहने वालों के अनुसार “सर छोटू राम का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनकी वजह से अविभाजित पंजाब प्रांत में न तो मोहम्मद अली जिन्ना की चल पायी और ना ही हिंदू महासभा की. वो उस पंजाब प्रान्त की सरकार के मंत्री थे जिसका आज दो तिहाई हिस्सा पकिस्तान में है. उन्हें सरकार का मुखिया बनने का अवसर मिला तो उन्होंने कहा कि तत्कालीन पंजाब प्रांत में मुसलमानों की आबादी 52 प्रतिशत थी. इसलिए उन्होंने किसी मुसलमान को ही मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की और खुद मंत्री बने रहे. इसलिए ही उन्हें ‘रहबर-ए-हिन्द’ की उपाधि दी गयी थी.”
बीबीसी हिन्दी