Freedom Movement

कुछ क़ैद में पड़े हैं, हम क़ब्र में पड़े हैं, दिन ख़ून का हमारे प्यारो न भूल जाना…

ये नज़्म “शहीदों के सन्देश” के नाम से एक नामालूम इंक़लाबी शायर ‘प्रेमी’ ने 1930 में लिखा था, जो दिल्ली के प्रकाशक पंडित बाबू राम […]