राष्ट्रवाद का पैमाना : फणीश्वरनाथ रेणु जो बेहिचक भारत माता के साथ नेपाल को भी अपनी माँ बोलता था।
Shubhneet Kaushik “मैला आँचल” के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए आज “मैला आँचल” और “परती परिकथा” सरीखी कालजयी कृतियों के रचयिता फणीश्वर […]
Shubhneet Kaushik “मैला आँचल” के अप्रतिम रचनाकार रेणु को याद करते हुए आज “मैला आँचल” और “परती परिकथा” सरीखी कालजयी कृतियों के रचयिता फणीश्वर […]
Shubhneet Kaushik “खुली छत पर एक व्यक्ति चटाई पर उघारे बदन पालथी लगाए अकेले बैठा हम लोगों की प्रतीक्षा कर रहा था। सांवला रंग, गठा […]
शाह आलम आज़ादी की तारीख कही जाने वाली 15 अगस्त, 1947 को 71 साल बीत जाने के बाद भी अवसरवादी ताक़तें आज़ादी के दीवाने […]
Shubhneet Kaushik बनारस में बांसफाटक स्थित कारमाइकल लाइब्रेरी उत्तर भारत की सबसे पुरानी लाइब्रेरियों में से एक है। इसकी स्थापना सन् 1872 ई0 में संकठा […]
Shubhneet Kaushik इस वर्ष मेंडलीव द्वारा 1869 में निर्मित आवर्त सारणी के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने आधुनिक विज्ञान में […]
Shubhneet Kaushik हिंदी के अप्रतिम आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह (1927-2019) का कल देर रात निधन हो गया। ‘वाद-विवाद-संवाद’ के पुरोधा और वाचिक परंपरा के […]
Jayant Jigyasu ओजस्वी आलोचक नामवर सिंह जी को रुबरू बस एक बार सुना था डीयु में रामविलास शर्मा की जन्मशती पर। उनके कहने का अपना […]
Shubhneet Kaushik वर्ष 1948 में भोजपुरी सम्मेलन का आयोजन बलिया में हुआ, जिसकी अध्यक्षता महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने की। 4 अप्रैल 1948 को आयोजित हुए […]
Shubhneet Kaushik रैदास कबीर और नामदेव की परंपरा के कवि हैं। वह परंपरा जिसमें सेन, पीपा, धन्ना आदि भी आते हैं। जिनमें कोई दरजी है, […]
राम पुनियानी शिवाजी, जनता में इसलिए लोकप्रिय नहीं थे क्योंकि वे मुस्लिम विरोधी थे या वे ब्राह्मणों या गायों की पूजा करते थे. वे जनता […]
निशा डागर अगर बात करे भारतीय स्वतंत्रता की क्रांति और उन क्रांतिकारियों की जिनकी वजह से देश को आजादी मिली तो इतिहास की रेत में […]
माजिद मजाज़ हुस्न, मोहब्बत, इंसानी दोस्ती, अदल-ओ-इंसाफ़ का मसीहा और जुर्रत-ए-इज़हार का दूसरा नाम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़! उर्दू शायरी को फ़ैज़ पर हमेशा नाज़ रहेगा। […]
Prashant Tandon लाहौर गुरुद्वारा शहीदगंज सदियों पुराने मुस्लिम सिख विवाद, सुलह और कानून के राज की नायाब मिसाल है. पाकिस्तान आज मुस्लिम बाहुल इस्लामिक रिपब्लिक […]
कई सालों पहले, समाजशास्त्री त्रिलोकी नारायण पाण्डेय ने मुझसे एक घटना का ज़िक्र किया था, जो जवाहरलाल नेहरू और हिंदी के प्रसिद्ध कवि सूर्यकांत त्रिपाठी […]
Shubhneet Kaushik आरंभिक आधुनिकता (अर्ली मॉडर्निटी) के इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम ‘सम्बद्ध इतिहास’ के पैरोकार रहे हैं, जिसे वे ‘कनेक्टेड हिस्ट्रीज़’ का दर्जा देते हैं। मूलतः […]
Shubhneet Kaushik दिग्गज इतालवी इतिहासकार कार्लो गिंजबर्ग कुछ दिनों के लिए भारत आए हुए हैं। कार्लो गिंजबर्ग के कृतित्व से मेरा परिचय बीएचयू में इतिहास […]
Shubhneet Kaushik खुद क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़े रहे और ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्य रहे जयचंद्र विद्यालंकार लाहौर के नेशनल कॉलेज में भगत सिंह और […]
Shubhneet Kaushik इतिहासकार शाहिद अमीन की किताब ‘इवैंट, मेटाफर, मेमोरी चौरी चौरा 1922-1992’, महज़ असहयोग आंदोलन के दौरान 1922 में चौरी चौरा में थाने को […]
हफ़ीज़ किदवई अर्रे मुझसे छुप क्यों रहे हो, मेरे करीब आओ, मेरे पास बैठो। तुमने मुझे गोली मारी, मुझे ज़रा भी दुःख नही। तुम मुझसे […]
Tarique Anwar Champarni आज की युवा पीढ़ी की राजनीतिक विमर्श राजीव गाँधी के पुत्र राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी की पुत्री प्रियंका गाँधी, मुलायम सिंह के […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]