प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद ~ महद से लहद तक

 

असलम आज़ाद का जन्म बिहार के सीतामढ़ी ज़िला के मौलानगर में 12 दिसंबर 1946 को हुआ था। वालिद का नाम मुहम्मद अब्बास था। शुरुआती तालीम घर पर ही हुई। उर्दू और फ़ारसी पर उबूर हासिल किया। बचपन में ही कहानियाँ लिखना शुरू कर दिया था। नज़्में भी लिख लिया करते थे।

मैट्रिक करने के बाद 1966 में बी॰ए॰ में दाख़िला लिया। और पटना यूनिवर्सिटी से 1968 में एम॰ए॰ किया। पढ़ाई के साथ शेर ओ शायरी भी चलती रही। पटना अदीबों और शायरों का मरकज़ था। असलम आज़ाद को अपने दौर के कई बड़े उर्दू अदब के माहिरों से मिलने का मौक़ा मिला। और उनसे फ़ैज़याब भी हुए। आपके उस्ताद अल्लामा जमील मज़हरी, अख़्तर उरैनवी, डॉक्टर सदरुद्दीन, डॉक्टर मोतीउर रहमान, डॉक्टर मुमताज़ अहमद, कलीम आजिज़, डॉक्टर यूसुफ़ ख़ुर्शीद जैसे लोग रहे। आपने नज़्में और ग़ज़लें लिखी। शेर ओ शायरी की। भारत के अलग अलग रिसालों में आपकी नज़्में और ग़ज़लें छापने लगीं। बाद में असलम आज़ाद की शेर ओ शायरी का एक मजमुआ “निशात ए कर्ब” के नाम से 1968 में शाय हुआ।

असलम आज़ाद को पटना यूनिवर्सिटी से इस क़दर लगाव रहा के अपनी पहली किताब “निशात ए कर्ब” को यूनिवर्सिटी की नज़्र करते हुए लिखा “पटना यूनिवर्सिटी के नाम जिस की आग़ोश में मेरे ज़ौक़ ए शेर ओ अदब की तरबियत हुई”।

इल्म ओ अदब और और पढ़ाई के साथ सियासत और सामाजिक कामों में भी असलम आज़ाद आगे आगे रहे। पटना यूनिवर्सिटी से 1974 में उर्दू से पी॰एच॰डी॰ करने के बाद पटना यूनिवर्सिटी के उर्दू शोबा में प्रोफ़ेसर की हैसियत से पढ़ाने लगे और इस तरह डॉक्टर प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद के नाम से जाने गए। 1981 में “उर्दू नोवेल आज़ादी के बाद” के नाम से उनकी किताब आई, जिमसे उन्होंने अपने पीएचडी की तहक़ीक़ात को पेश किया। 1986 में उनकी शायरी का मजमुआ “मुख़्तलिफ़” नाम से शाय हुआ। पटना यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग के एच॰ओ॰डी॰ भी बने। हज़ारों बच्चों ने आपसे तालीम हासिल की।

प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद ने सियासत की शुरुआत लोकदल से की। बिहार में इस पार्टी के 1983 से 1989 के उपाध्यक्ष रहे। 1985 में लोकदल के उम्मीदवार की हैसयत से रुन्नीसैदपुर से विधासभा का चुनाव लड़ा। 1991 में समाजवादी जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव बने। और 1991 में ही समाजवादी जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में सीतामढ़ी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। लम्बे समय तक जनतादल(यू) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 11 मई 2006 को प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। उर्दू ज़ुबान में सदस्यता की शपथ ली। 2012 तक इस पद पर रहे। यहाँ भी उर्दू के फ़रोग़ के लिए लगातार कोशिश करते रहे। काउंसिल दस्तावेज़ / ख़बरनामा नाम का उर्दू रिसाला प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद के सम्पादन में 2010 में वहाँ से निकला। प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद ने 2009 में सदस्य रहते हुए “उर्दू के ग़ैर मुस्लिम शोरा” नाम से एक किताब लिखी। विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक कामों में आगे रहते। सदन में पार्टी के उपनेता थे। अल्पसंख्यक कल्याण समिति के अध्यक्ष थे और शिक्षा समिति के सदस्य भी रहे। लगातार पिछड़ों, मज़लूमों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए काम करते रहे।

प्रोफ़ेसर असलम आज़ाद का 8 जून 2022 को दोपहर क़रीब 11 बजे एम्स, पटना में इंतक़ाल हो गया। उन्हें उनके पैतृक गांव मौलानगर, सीतामढ़ी में अवापुर क़ब्रिस्तान में दफ़न कर दिया गया।

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.