जब ख़्वाब ने मौलवी ख़ुदाबख़्श को हज के सफ़र पर निकलने को किया मजबूर, जो था उनका आख़िरी सफ़र
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
जब कभी मेल या एक्सप्रेस ट्रेन से फ़तुहा स्टेशन आने वाला होता, जहां से उस समय मार्टिन कंपनी की छोटी लाइन इस्लामपुर की जानिब जाती […]
पिछले दो दिनों से दशरथ मांझी फिर से सुर्ख़ियों में हैं। लेकिन अपने काम की वजह से नहीं बल्कि दूसरे कारणों से। फेसबुक पर […]
प्रोफ़ेसर जाबिर हुसैन सोचता हूं, कब मिला था मुझे वो शख़्स, और कहां! दो चार तारीख़ें हों तो याद भी रहें। इतनी तारीखें हैं, और […]
मिर्ज़ा ए.बी बेग 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन को सिपाही विद्रोह, ग़दर या फ़िर पहला स्वतंत्रता आंदोलन कहा जाए यह कभी न ख़त्म होने […]
एक रोज़ अपने ख़ैमे में लेटा था कि, केक बेचने वाले की आवाज़ सुनाई दी, गोश्त खा खा कर तबियत भर चुका था, इसलिए उसे […]
मलिक शहबाज़ उर्फ मैल्कम एक्स अमेरिका के मशहूर अश्वेत लीडर थे, उन्हें अश्वेत अमेरिकियों के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने के लिए जाना जाता […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]