बेगम किचलू, एक महान स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी जिन्होंने इस दुनिया को बग़ैर दवा इलाज का छोड़ा!

सआदत बानो की पैदाइश 1893 में अमृतसर में हुई थी, और 1915 में सैफुद्दीन किचलू से उनका निकाह हुआ था।

सआदत बानो स्वराज आश्रम की देखभाल करती थी, वो आल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस की सरगर्म रुक्न बन कर कांग्रेस के मुख्तलिफ तहरीकों में शिरकत करती थी।

Begum Kitchlew with Chou-En-Lie Prime Minister of PEOPLE SOCIALIST REPUBLIC OF CHINA.

जलियावाला बाग़ में वोह शिरकत के लिए घर से निकल चुकी थी लेकिन जब तक वहां पहुंचती तब तक वहां गोलीबारी हो चुकी थी।

1947 के बटवारे के बाद उन्होंने पाकिस्तान जाना गवारा नहीं किया, लेकिन मुक़ामी लोगों ने उनका सब कुछ लूट लिया, इनके आश्रम से हज़ारों लोगों ने फायदा उठाया लेकिन अब उनका घर जल चूका था।

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जिला वतन हो कर वहां से दिल्ली आ गयी और ज़िंदगी के बाक़ी दिन दिल्ली में ही गुज़रे। बेगम किचलू अंजुमन उर्दू तरक़्क़ी की सरपरस्ती करती रहीं, ज़िन्दगी तंगदस्ती में गुज़री लेकिन हुकूमत से कुछ लिया नहीं।

डॉक्टर किचलू जब बीमार पड़े तो उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे जब ये बात नेहरू को पता चली तो वोह खुद किचलू को हॉस्पिटल ले गए लेकिन वहां उनका इंतेक़ाल हो गया।

बेगम किचलू बे सहारा हो गयी और ज़िन्दगी के बाक़ी दिन मुफलिसी में गुज़ारते हुए 18 अगस्त 1970 को दुनिया ए फ़ानी से कूच कर गई।

बेगम किचलू को शुरू से ही शेर व अदब में दिलचस्पी रही इनके मज़ामीन व कलाम मुख़्तलिफ़ रिसालों में शाए होते रहते थे, वो हर वक़्त हर किसी की मुमकिन मदद के लिए तैयार रहती थी इसलिए वो सभी में आपा जी के नाम से मशहूर थी। हां ये अलग बात है उन्होंने इस दुनिया को बग़ैर दवा इलाज का छोड़ा!