प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी, शिक्षा के लिए जीवन वक़्फ़ कर देने वाला इंसान

प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी की पैदाइश बिहार के अरवल ज़िला के इमामगंज में 10 नवम्बर 1933 को हुआ था।

वालिद का नाम शाह मुहम्मद ज़की अहसन था।

घर पर अदब का माहौल था, इसलिए मज़हबी तालीम और शुरुआती तालीम घर पर ही हासिल की,

जिसमें क़ुरान के साथ अरबी, फ़ारसी और उर्दू मौलवी सैयद अब्दुल मजीद की निगरानी में पढ़ा।


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वालिद का इंतक़ाल बचपने में हो गया। माँ ने पढ़ाई की ज़िम्मेदारी ख़ुद ली, पास के ही सिकरिया मिडिल स्कूल में दाख़िला करवा दिया।

जब थोड़े बड़े हो गए तो पटना मुस्लिम हाई में दाख़िला करवा दिया, वहीं से मैट्रिक पास किया और फिर उसके बाद बीएन कॉलेज में दाख़िला लिया और वहीं से आईए और बीए पास किया।

और फिर पटना यूनिवर्सिटी में दाख़िला ले कर पहले वहाँ से शोसियोलॉजी में एमए किया, और फिर अपना शौक़ पूरा करने के लिए एक एमए उर्दू में किया।


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इसके बाद पहले ऐएन कॉलेज में लेक्चरर के पद पर बहाल हुवे और फिर कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स पटना में ट्रांसफ़र हुआ, इसी दौरान पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

और फिर पटना यूनिवर्सिटी से ही उर्दू में पीएचडी किया और डॉक्टर क़ासिम अहसन वारसी बने।

उसके बाद कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स पटना में उर्दू के प्रोफ़ेसर बने। बाद में उर्दू डिपार्टमेंट के हेड यानी एचओडी भी बने।


सैयद हसन, जिन्होंने बिहार के पिछड़ों को पढ़ाने के लिए अपना जीवन वक़्फ़ कर दिया।


और पूरी दुनिया में डॉक्टर प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी के नाम से जाने गए।

आप भारत की अलग यूनिवर्सिटी के सेमिनार में जाया करते थे।

और इसी ने आपके ज़ेहन में एक बात डाल दी के उन लोगों के लिए तालीमी इदारे खोलने हैं, जिनके लिए शिक्षा के दरवाज़े बंद हैं।


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आपने एक शिक्षक के रूप में निजी तौर पर पढ़ाई लिखाई के फ़रोग़ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

और इसकी शुरुआत आपने 20वीं सदी का सबसे महान शिक्षाविद डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन के नाम पर पटना के सुल्तानगंज इलाक़े में स्कूल खोल कर की।

ये इलाक़ा तालीम के मामले बहुत सारी वजह कर पिछड़ता चला गया था। आज ये स्कूल पटना में डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन कॉलेज के नाम से जाना जाता है।


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लड़कियों के लिए मिल्लत उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल, न्यू अज़ीमाबाद कॉलोनी, पटना में खोला।

चुंके स्कूल को चलाने के लिए अच्छे उस्ताद और टीचर की ज़रूरत होती है, इसलिए 1975 में एक टीचर ट्रेनिंग कॉलेज की बुनियाद भी पटना में डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के रूप में डाली गई।

प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स पटना से रिटायर हुवे।


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आपको बिहार मदरसा एजुकेशन बोर्ड का सदस्य भी बनाया गया। पर आपकी सेहत गिरती रही, बीमार रहने लगे।

और इसी वजह कर 21 नवम्बर 2007 को अपना पूरा जीवन शिक्षा के लिए वक़्फ़ कर देने वाले डॉक्टर प्रफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी का इंतक़ाल 74 साल की उमर में हो गया।

Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.