1857 की बक़रईद : बहादुर शाह ने क़ुरबानी पर लगा दी थी क़ानूनी रोक
प्रोफ़ेसर कपिल कुमार सदियों से भारत की ये रीत बनी रही है कि हम भारतीय आपस में अपने घर के अंदर कितना ही लड़ें, […]
प्रोफ़ेसर कपिल कुमार सदियों से भारत की ये रीत बनी रही है कि हम भारतीय आपस में अपने घर के अंदर कितना ही लड़ें, […]
हफ़ीज़ किदवई कोई कहता है की यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था तो कोई कहता है की यह जन संघर्ष की मिसाल है. कोई कहता यह […]
Md Umar Ashraf बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का असली खेल 1857 के बाद शुरु हुआ है। 1850 और 1853 के बीच एकाध मौक़ा […]
17 अक्तुबर 1858 को बाहदुर शाह ज़फर मकेंजी नाम के समुंद्री जहाज़ से शाही ख़ानदान के 35 लोग के साथ रंगून पहुंचा दिए गये। […]
गंगू मेहतर विट्ठुर के शासक नाना साहब पेशवा की सेना में नगाड़ा बजाते थे। गंगू मेहतर को कई नामों से पुकारा जाता है। भंगी […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]