भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब मारे गए कैनेडियन नागरिक
14 अगस्त 1942 को पटना शहर पर पुरी तरह से ब्रिटिश और अमेरिकन फौजियों का कब्ज़ा हो गया. आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों ने शहर […]
14 अगस्त 1942 को पटना शहर पर पुरी तरह से ब्रिटिश और अमेरिकन फौजियों का कब्ज़ा हो गया. आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों ने शहर […]
एक आम समझ ये रही है कि भारत छोड़ो आंदोलन कांग्रेस बल्कि महात्मा गाँधी का आंदोलन था और आज़ाद हिंद फ़ौज सुभाष चंद्र बोस का. […]
मुस्लिम लीग द्वारा भारत छोड़ आंदोलन का विरोध किया गया था। अंग्रेज़ों को लगा के मुसलमान इस आंदोलन से अलग रहेंगे; पर गांधी जी […]
भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भरपूर भागीदारी थी। उन्होंने आंदोलन में न सिर्फ़ हिस्सा लिया बल्कि पुरुषों की बराबरी करते हुए इसका नेतृत्व भी […]
भारत छोड़ो आंदोलन के समय ये तैय हो गया था के देश का नेतृत्व गांधीजी और कांग्रेस ही करती है। 8 अग्स्त 1942 को […]
बंबई से बिहार के प्रतिनिधियों के पहुंचने से पहले ही 9 अगस्त 1942 की सुबह ही सदाक़त आश्रम में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों की गिरफ़्तारी […]
1857 की क्रांति के बाद अगर भारत में आज़ादी की ख़ातिर किसी आंदोलन में सबसे अधिक क्रांतिकारियों का ख़ून बहा है, तो वो है 1942 […]
अगस्त 1942 को गांधी जी की क़ियादत मे जैसे ही युसुफ़ जाफ़र मेहर अली ने ‘अंग्रेज़ो भारत छोड़ो’ का नारा दिया पुरे हिन्दुस्तान मे इंक़लाब […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]