सैयद महमूद की कोठी, जहां दंगे के बाद शांति प्रयास के लिए बिहार आए महात्मा गांधी ठहरे
इन दिनों पटना के गांधी मैदान के उत्तर ए.एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट चर्चे में है, क्यूँकि अब तक बहुत कम लोगों को पता था […]
इन दिनों पटना के गांधी मैदान के उत्तर ए.एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट चर्चे में है, क्यूँकि अब तक बहुत कम लोगों को पता था […]
ब्रजकिशोर प्रसाद का जन्म 14 जनवरी 1877 को सारण के श्रीनगर गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। माँ का नाम समुद्री […]
एक आम समझ ये रही है कि भारत छोड़ो आंदोलन कांग्रेस बल्कि महात्मा गाँधी का आंदोलन था और आज़ाद हिंद फ़ौज सुभाष चंद्र बोस का. […]
1857 की क्रांति के बाद अगर भारत में आज़ादी की ख़ातिर किसी आंदोलन में सबसे अधिक क्रांतिकारियों का ख़ून बहा है, तो वो है 1942 […]
असहयोग और ख़िलाफ़त आंदोलन के समय क़ाज़ी मुहम्मद हक़ साहब ‘क़ाज़ी’ मण्डावरी ने “क़ौमी होली” नाम से एक नज़्म लिखी थी; जिसे बाग़ीयाना मान कर […]
अंग्रेजों की योजना थी, बत्तक अंसारी के हाथों गांधी जी को दूध में ज़हर देकर मार दिया जाए। प्रलोभनों के साथ, ऐसा नहीं करने पर बत्तक अंसारी को जान से हाथ धोने की धमकियां दी गई थीं। देशभक्त बत्तक अंसारी ने अंग्रेजों का दमन और अत्याचार झेलने का संकल्प किया और गांधी जी को अंग्रेजों की इस साज़िश से आगाह कर दिया। कहते हैं, दूध का गिलास ज़मीन पर उलट दिया गया और एक बिल्ली उसे चाटकर मौत की नींद सो गई।
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]