1857 सुना तो है मगर जानते भी हैं क्या इसे ?
हफ़ीज़ किदवई कोई कहता है की यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था तो कोई कहता है की यह जन संघर्ष की मिसाल है. कोई कहता यह […]
हफ़ीज़ किदवई कोई कहता है की यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था तो कोई कहता है की यह जन संघर्ष की मिसाल है. कोई कहता यह […]
Md Umar Ashraf आजके रोज़ ही 1919 को जालियांवाला बाग़ में क़त्ल ए आम हुआ था। सैंकड़ो की तादाद में लोग क़त्ल कर दिये गए […]
9 अप्रैल 1919 को आयोजित रामनवमी की शोभायात्रा का आयोजन एक मुस्लिम डॉ. बशीर द्वारा किया जाना अंग्रेज हुकूमत को बिल्कुल रास न आया। इसी […]
Hafeez Kidwai साल तो यही था 19 ही मगर 1919 और तारीख भी यही थी। कुछ लोग थे जो चाहते थे की उनकी हर साँस […]
शहीद भगत सिंह ने सेंट्रल जेल, लाहौर से कई ख़त लिखे जिसमे से एक पत्र उनके छोटे भाई कुलतार सिंह के नाम भी है। शहीद-ऐ-आज़म […]
Shubhneet Kaushik फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने गुजराती पत्रिका ‘नवजीवन’ में एक लेख लिखा, शीर्षक था ‘बलिया में दमन’। यह लेख असहयोग आंदोलन के […]
Md Umar Ashraf सभी को याद होगा कि 16 दिसंबर, 2012 को जब दिल्ली में निर्भया का बलात्कार कर उसके गुप्तांग में लोहे की सलाख़ […]
शाह आलम आज़ादी की तारीख कही जाने वाली 15 अगस्त, 1947 को 71 साल बीत जाने के बाद भी अवसरवादी ताक़तें आज़ादी के दीवाने […]
Shubhneet Kaushik वर्ष 1948 में भोजपुरी सम्मेलन का आयोजन बलिया में हुआ, जिसकी अध्यक्षता महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने की। 4 अप्रैल 1948 को आयोजित हुए […]
आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है प्रसिद्ध भारतीय कवि और गायक प्रदीप द्वारा लिखा […]
किंग जॉर्ज षष्टम ने 1947 से पूर्व भी कई बार लॉर्ड लुई माउंटबेटन को भारत का वासराय बनने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन लॉर्ड लुई […]
Shubhneet Kaushik मार्टिन लूथर किंग ने 1958 में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत के प्रति अपने लगाव और जुड़ाव की चर्चा करते हुए एक लेख […]
Shubhneet Kaushik “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत”, स्वामी विवेकानंद का प्रिय उपनिषद-वाक्य था। जिसमें बोध/ज्ञान प्राप्त करने के लिए जाग्रत होने का आह्वान किया गया था। […]
मुहम्मद सैफ़ुल्लाह हर कोई जानता है कि लोहड़ी सर्दियों में मनाया जाता है। पर क्या आपको मालूम है लोहड़ी का त्यौहार किसकी स्मृति में मनाया […]
प्रथम विश्व विश्व युद्ध के दौरान 17 नवम्बर 1917 से 30 दिसम्बर 1917 तक चली जंग में ग्रेट ब्रिटेन ने जहां आस्ट्रेलिया, भारत और न्युज़ीलैंड […]
Md Umar Ashraf बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का असली खेल 1857 के बाद शुरु हुआ है। 1850 और 1853 के बीच एकाध मौक़ा […]
जयन्त जिज्ञासु पिछले कुछेक बरसों में इस देश की साझा विरासत को जिस तरह कुचला गया है, दंगाई माहौल में जिस तरह लोगों को झोंका […]
Md Umar Ashraf 27 नवम्बर 1914 को फ़िरोज़पुर से मोगा जाते समय मस्रीवाला पुल के पास टांगे पर बैठ कर रहमत अली शाह की […]
26 नवम्बर 1938 को हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी के अज़ीम रहनुमा मौलाना शौकत अली का इंतक़ाल मरहूम मौलाना मुहम्मद अली जौहर की बेगम […]
15 फ़रवरी 1915 को बड़ी तादाद में भारतीय सिपाही सिंगापुर में अंग्रेज़ों से बग़ावत कर जाते हैं, जिसके बाद उन्हे बग़ावत के जुर्म में मार्च […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]