1857 की क्रांति के नायक बाबू कुंवर सिंह और उनके मुस्लिम साथियों की वीरगाथा
जब बिहार मे 1857 की क्रांति की बात होती है तो सिर्फ़ ‘बाबू कुंवर सिंह’ का नाम लिया जाता है.. उन्हे याद किया जाता है… […]
जब बिहार मे 1857 की क्रांति की बात होती है तो सिर्फ़ ‘बाबू कुंवर सिंह’ का नाम लिया जाता है.. उन्हे याद किया जाता है… […]
प्रोफ़ेसर कपिल कुमार सदियों से भारत की ये रीत बनी रही है कि हम भारतीय आपस में अपने घर के अंदर कितना ही लड़ें, […]
अरूण सिंह 1857 में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई या सिपाही विद्रोह के वक्त पटना के तत्कालीन कमिश्नर विलियम टेलर ने पर्याप्त सबूतों के […]
हफ़ीज़ किदवई कोई कहता है की यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था तो कोई कहता है की यह जन संघर्ष की मिसाल है. कोई कहता यह […]
आप अजनबी हैं, नही तो ऐसा सवाल नही करते, ये सब झूठी कहानियाँ हैं, ये कहानियाँ भड़काने के लिए फैलाई जाती हैं, नफ़रत तो पहले से भी कम नही, ये बात बिलकुल सही है कि अंग्रेज़ बच्चों और औरतों का ख़ून बहाया गया है लेकिन किसी की आबरु पर हमला नही किया गया, ये हमारी तहज़ीब और रस्म व रिवाज के ख़िलाफ़ है, हिंदुस्तान से लेकर लंदन तक की अख़बारों में जो ये ख़बरें हैं; ये सब बे बुनियाद हैं!
हफ़ीज़ किदवई कुछ तारीख़ें सिर्फ़ तारीख़ भर नही होती बल्कि पूरे एक ज़माने का ढलना होती है। आज वही 7 अप्रैल है। जब अवध की […]
क़ाज़ी ज़ुल्फ़ीक़ार अली बिहार के जहानाबाद ज़िला के क़ाज़ी दौलतपुर के रहने वाले थे। जो बाबू कुंवर सिंह के सबसे क़रीबी साथियों में से […]
Md Umar Ashraf बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का असली खेल 1857 के बाद शुरु हुआ है। 1850 और 1853 के बीच एकाध मौक़ा […]
17 अक्तुबर 1858 को बाहदुर शाह ज़फर मकेंजी नाम के समुंद्री जहाज़ से शाही ख़ानदान के 35 लोग के साथ रंगून पहुंचा दिए गये। […]
Ali Zakir कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें इतनी जगह कहां है दिल-ए-दाग़दार में आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को […]
सन् 1857 ई. की क्रांति अंग्रेज़ी सत्ता को एक महान चुनौती थी। जिसने ब्रिटिश सरकार को झकझोर दिया। अंग्रेज़ों की दासता के जुए को […]
गंगू मेहतर विट्ठुर के शासक नाना साहब पेशवा की सेना में नगाड़ा बजाते थे। गंगू मेहतर को कई नामों से पुकारा जाता है। भंगी […]
मौलाना अहमद शाह शहीद एक ऐसा नाम है, जिसके जौहर का चिना पत्तम, देहली, आगरा, अवध, रोहिल खण्ड की सर ज़मीन गवाह है। अगर […]
वारिस अली ही नाम है उस अज़ीम इंक़लाबी रहनुमा का जिसे उसके शहादत के 160 साल बाद भी आज़ाद हिन्दुस्तान में शहीद का दर्जा नही […]
चौधरी साहब सीकरी खुर्द गुर्जर बहुल गाँव है जो मोदीनगर से पूर्व दिशा में 1 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है । यहाँ के ग्रामीणों […]
अरविन्द कुमार सिंह 1857 की महान क्रांति का ज्वालामुखी ऐतिहासिक नगर इलाहाबाद तथा आसपास के गांवों में भी फूटा, पर यह अल्पकालीन रही। फिर भी […]
मिर्ज़ा ए.बी बेग 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन को सिपाही विद्रोह, ग़दर या फ़िर पहला स्वतंत्रता आंदोलन कहा जाए यह कभी न ख़त्म होने […]
कुमार नरेंद्रा सिंह ‘कुंअर सिंह एक ऐसा आदमी है, जिसने हमें 80 साल की अवस्था में एक पूर्ण पराजय का त्रासद घाव दिया, जिसने बेलगाम […]
सिकंदर बेगम भोपाल की शासक थीं और वह अंग्रेज़ों की समर्थक थी, जबकि फ़ौज आज़ादी के पक्ष में थी। अंग्रेज़ों के हरकत से परेशान हिन्दुस्तानी […]
1857 की जंग ए आजादी में लड़ने वाले शेख़ भिखारी का जन्म 1831 ई में रांची ज़िला के होक्टे गांव में एक बुनकर ख़ानदान में […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]