भारत की जंग ए आज़ादी और हिन्दु-मुस्लिम एकता में इमारत-ए-शरिया बिहार का योगदान!
नज़रबंदी के दौरान 1917 में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद नें रांची शहर में एक तालीमी एदारा क़ायम किया था, जिसे आज दुनिया मदरसा इस्लामिया रांची […]
नज़रबंदी के दौरान 1917 में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद नें रांची शहर में एक तालीमी एदारा क़ायम किया था, जिसे आज दुनिया मदरसा इस्लामिया रांची […]
जब बिहार मे 1857 की क्रांति की बात होती है तो सिर्फ़ ‘बाबू कुंवर सिंह’ का नाम लिया जाता है.. उन्हे याद किया जाता है… […]
ये कहा जाता है की अगर निशात उन निशा, ज़ुलैख़ा, और कमला नेहरू नहीं होती, तो मुमकिन था हसरत किसी अख़बार के एडिटर होते, मौलाना […]
जान से, बदन से, ख़ून से हिन्दुस्तां के हैं हम ! हैरत है, क्यों नहीं है हिन्दुस्तां हमारा !! ये शेर उस औरत कि दिल […]
एक आम समझ ये रही है कि भारत छोड़ो आंदोलन कांग्रेस बल्कि महात्मा गाँधी का आंदोलन था और आज़ाद हिंद फ़ौज सुभाष चंद्र बोस […]
एक ज़माना था के जब भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा सब एक-दूसरे से जुड़े थे; यानी एक मुल्क थे। और आज एक दूसरे से अलग- […]
प्रथम विश्व युद्ध में दौरान 1 दिसम्बर 1915 को राजा महेन्द्र प्रताप की अध्यक्षता में प्रवासी भारतीय सरकार की स्थापना काबुल में की जाती है। […]
शाह मुहम्मद उस्मानी का जन्म 1915 में बिहार के गया ज़िला के सिमला में जिस समय हुआ, वो ख़िलाफ़त तहरीक का शुरुआती दौर था। जब […]
सैयद मुहम्मद शरफ़ुद्दीन (Justice Syed Sharfuddin) 1907 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज बने और इस पद पर पहुँचने वाले आप पहले बिहारी थे। मार्च 1916 तक इस पद पर तब तक बने रहे, जब तक पटना में हाई कोर्ट की स्थापना नही हो गई। 1916 से 1917 तक पटना हाई कोर्ट के जज रहे। सैयद मुहम्मद शरफ़ुद्दीन पटना हाई कोर्ट के जज बनने वाले पहले भारतीय थे।
मौलाना शरफ़ुल्हक़ सिद्दीक़ी के घर 16 अक्तूबर 1914 को एक लड़का पैदा हुआ, जिसका नाम उन्होंने अपने उस्ताद हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की और रशीद अहमद […]
21 फ़रवरी 1905 को मौलवी बरकतुल्लाह भोपाली ने इंग्लैंड से भारत एक ख़त हसरत मोहानी को फ़ारसी भाषा में भेजा था; जिसका हिंदी तर्जुमा हम […]
मुशीर हुसैन किदवई का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िला के गादिया क़स्बे 1878 में हुआ था, शुरुआती तालीम घर पर हासिल की, फिर […]
ब्रजकिशोर प्रसाद का जन्म 14 जनवरी 1877 को सारण के श्रीनगर गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। माँ का नाम समुद्री […]
शाह मुश्ताक़ साहब सरकारी नौकरी करते थे, तब एक दिन श्रीबाबू ने उन्हें अपने दफ़्तर पर बुलाया और कहा के आज मै जिस कुर्सी पर […]
आज 25 दिसम्बर है, आज ही महान भारतीय शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी, पंडित मदन मोहन मालवीय और डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी की जयंती है। ये […]
20 सितम्बर 1927 की रात मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली की आख़िरी रात थी. इस रात अपने साथियों से अपने पूरे होशों-हवास में उन्होंने कहा था —‘तमाम […]
वो दौर 1930 का था जब बेगम हसन इमाम अपने शौहर के कंधे से कंधा मिला कर अंग्रेज़ो की मुख़ाल्फ़त कर रही थीं और इनका […]
14 अगस्त 1942 को पटना शहर पर पुरी तरह से ब्रिटिश और अमेरिकन फौजियों का कब्ज़ा हो गया. आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों ने शहर […]
एक आम समझ ये रही है कि भारत छोड़ो आंदोलन कांग्रेस बल्कि महात्मा गाँधी का आंदोलन था और आज़ाद हिंद फ़ौज सुभाष चंद्र बोस का. […]
मुस्लिम लीग द्वारा भारत छोड़ आंदोलन का विरोध किया गया था। अंग्रेज़ों को लगा के मुसलमान इस आंदोलन से अलग रहेंगे; पर गांधी जी […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]