फ़ज़लुर रहमान, मज़दूरों की लड़ाई लड़ने वाला भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी
फ़ज़लुर रहमान का जन्म 1918 में बिहार के चम्पारण ज़िला के बेतिया के कंधवलिया गाँव में हुआ था। वालिद का नाम मुहम्मद यासीन था। शुरुआती […]
फ़ज़लुर रहमान का जन्म 1918 में बिहार के चम्पारण ज़िला के बेतिया के कंधवलिया गाँव में हुआ था। वालिद का नाम मुहम्मद यासीन था। शुरुआती […]
भारत में पहला सरकारी यूनानी कॉलेज पटना में एक लम्बे आंदोलन के बाद गवर्न्मेंट तिब्बी कॉलेज, पटना के रूप में 29 जुलाई 1926 को खुला। […]
क़ाज़ी ज़ुल्फ़ीक़ार अली बिहार के जहानाबाद ज़िला के क़ाज़ी दौलतपुर के रहने वाले थे। जो बाबू कुंवर सिंह के सबसे क़रीबी साथियों में से […]
पटना युनिवर्सिटी को वजुद मे लाने मे अपना अहम रोल अदा करने वाले सर मुहम्मद फ़ख़्रुद्दीन ने 1921 से 1933 के बीच बिहार के शिक्षा […]
पिछले दिनो गया के एक ख़ानक़ाह के नादिर मक़तूतात को देख रहा था, उसी दौरान एक सफ़ेद काग़ज़ दिखा, जिस पर मोहर लगा हुआ […]
प्रोफ़ेसर क़ासिम अहसन वारसी की पैदाइश बिहार के अरवल ज़िला के इमामगंज में 10 नवम्बर 1933 को हुआ था। वालिद का नाम शाह मुहम्मद ज़की […]
सैयद शाह रशीद उर रहमान का जन्म अप्रैल 1926 को बिहार के जहानाबाद ज़िला के काको में हुआ था, वालिद का नाम सैयद अता उर […]
अहमद हुसैन की पैदाइश 1886 को पटना ज़िला के नेवरा में हुई थी। शुरुआती तालीम घर पर हासिल की। अपने वालिद मौलवी अमजद हुसैन से […]
1926 के दौर में जब जामिया मिल्लिया इस्लामिया बंद होने के हालात पर पहुँच गई तो ज़ाकिर हुसैन ने कहा “मैं और मेरे कुछ साथी जामिया की ख़िदमत के लिए अपनी ज़िन्दगी वक़्फ़ करने के लिए तैयार हैं. हमारे आने तक जामिया को बंद न होने दिया जाए.” जबकि उस वक़्त वो जर्मनी में पीएचडी कर रहे थे।
पर उनकी तरबियत डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ने की थी, जिनके पास वतन से दूर रह कई बड़े काम अंजाम देने के मौक़े थे, पर उन्होंने जर्मनी से पढ़ाई मुकम्मल करने के बाद बंद होने की कागार पर पहुँच चुके जामिया मिलिया इस्लामिया को सम्भालने भारत आ गए, वैसे सैयद हसन भी अमेरिका में रहते हुवे कई भारतीय छात्रों की पढ़ाई में मदद करते रहे और 1965 वापस भारत आ गए।
शाह मुहम्मद उस्मानी का जन्म 1915 में बिहार के गया ज़िला के सिमला में जिस समय हुआ, वो ख़िलाफ़त तहरीक का शुरुआती दौर था। जब […]
सैयद मुहम्मद शरफ़ुद्दीन (Justice Syed Sharfuddin) 1907 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज बने और इस पद पर पहुँचने वाले आप पहले बिहारी थे। मार्च 1916 तक इस पद पर तब तक बने रहे, जब तक पटना में हाई कोर्ट की स्थापना नही हो गई। 1916 से 1917 तक पटना हाई कोर्ट के जज रहे। सैयद मुहम्मद शरफ़ुद्दीन पटना हाई कोर्ट के जज बनने वाले पहले भारतीय थे।
इन दिनों पटना के गांधी मैदान के उत्तर ए.एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट चर्चे में है, क्यूँकि अब तक बहुत कम लोगों को पता था […]
मोईनउद्दीन अहमद की पैदाइश 30 शाबान 1339 हिजरी यानी 1921 को बिहार के अरवल क़स्बे में हुआ था, उस समय अरवल गया ज़िला का हिस्सा […]
परिवार के लोगों ने किला व मजार को सरंक्षित करने की मांग की मो. असग़र ख़ान/ अलबदर ख़ान गया: बिहार की राजधानी पटना से करीब पौने […]
ब्रजकिशोर प्रसाद का जन्म 14 जनवरी 1877 को सारण के श्रीनगर गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। माँ का नाम समुद्री […]
22 मार्च को हर साल बिहार दिवस मनाया जाता है, बिहार के अलग राज्य के रूप में स्थापित होने की ख़ुशी में। बिहार राज्य […]
शाह मुश्ताक़ साहब सरकारी नौकरी करते थे, तब एक दिन श्रीबाबू ने उन्हें अपने दफ़्तर पर बुलाया और कहा के आज मै जिस कुर्सी पर […]
वो दौर 1930 का था जब बेगम हसन इमाम अपने शौहर के कंधे से कंधा मिला कर अंग्रेज़ो की मुख़ाल्फ़त कर रही थीं और इनका […]
Shubhneet Kaushik मध्यकालीन भारत के दिग्गज इतिहासकार सर यदुनाथ सरकार ने मौलवी ख़ुदा बख़्श (1842-1908) को ‘इस्लामिक अध्ययन के संदर्भ-ग्रंथों का सबसे जानकार हिंदुस्तानी विद्वान’ […]
हाल के दिनो में पटना में एक एलिवेटेड रोड के लिए ऐतिहासिक ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के प्रस्ताव […]
पुर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद अपने पिता बिहार विधानसभा के पुर्व उपसभापति शकूर अहमद के साथ कहीं जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक […]
1934 से 1937 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे सैयद अब्दुल अज़ीज़ पटना में अलग अलग तरह के सामाजिक कार्य करने के लिए बड़ेमशहूर थे। […]
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि […]
आधुनिक भारत ही की भांति आधुनिक बिहार के इतिहास पर भी अगर गौर करें तो कहना पड़ेगा कि आधुनिकता और राष्ट्रवाद की प्रगति के […]
सरज़मीन-ए-हिन्द पे अक़वाम-ए-आलम के फिराक़ क़ाफ़िले आते गये हिन्दोस्तां बनता गया फिराक़ गोरखपुरी अपने इस शेर में हिंदुस्तान की हज़ारों बरस पुरानी गंगा जमुनी तहज़ीब […]
19वीं शताब्दी का भारत नवजागरण का है। इस नवजागरण में विदेशी शिक्षा का प्रमुख हाथ था। इसलिए उन दिनों विलायत जाने वालों को लेकर […]
Shubhneet Kaushik जनवरी 1941 में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर नज़रबंदी से फ़रार हुए। अंग्रेज़ी राज की नज़रों से बचाकर […]
रौशनी जिसकी किसी और के काम आ जाए! एक दिया ऐसा भी रस्ते में जला कर रखना! (अतश अज़ीमाबादी) ख़्वाजा सैयद रियाज़ उद दीन अतश […]